चिकमंगलूर: कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के मडीगेरे इलाके में आई बाढ़ का पानी उतरने लगा है और हालात तेजी से सामान्य होने लगे हैं। इसे देखते हुए जब यहां राहत कार्य के लिए आए सेना के जवानों की मंगलवार को वापसी होने लगी तो बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों की आंखे डबडबा उठीं और माहौल बहुत जज्बाती हो गया।
ये जवान बीते कुछ दिनों से राहत कार्यों में लगे थे और कुदरत का गुस्सा शांत होने पर वे वापस जाने की तैयारी में जुट गए। जब गांव वालों को इसकी खबर हुई तो वे सब उन्हें विदाई देने के लिए वहां जमा हो गए। जब जवान ट्रकों में अपना सामान लाद रहे थे तो गांव वाले कतार में खड़े हो गए और फिर सभी ने हाथ जोड़कर उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।
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इस माहौल में ग्रामीण अपनी आंखो में आंसू नहीं रोक सके। ऐसे में वह बाढ़ से सामान और पशुधन के बहने का दर्द भी शायद भूल गए थे। राहत शिविरों में रह रही महिलाओं ने इन जवानों की आरती उतारी, राखी बांधी और टीका किया। एक महिला ने रूंधे हुए गले से कहा, ‘‘भगवान तुम्हारा भला करे। वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को सुखी और संपन्न बनाए।’’
ग्रामीणों का यह प्रेम देखकर सेना के ये जवान भी जज्बाती हो गए और उनकी भी आंखों में आंसू आ गए। दोनों ओर से भावनाओं का प्रवाह इतना सशक्त था कि उसमें शब्दों की आवश्यकता नहीं थी। और शब्द होते भी तो वे निरर्थक होते क्योंकि ये जवान उत्तर भारत से आए थे और उन्हें यहां की जुबान कन्नड भी नहीं आती थी। यहां के गांव जैसे केलेगुर, बलीजे और मलेमाने बाढ़ की विपदा से खासे प्रभावित हुए हैं। इस जलप्रलय से हजारों एकड़ काश्तकारी की जमीन खराब हो गई है। इसमें सुपारी और नारियल के पेड़ लगे हुए थे। बाढ़ से हजारों घर तबाह हो गए और उनका नामोनिशान तक मिट गया है। अधिकारियों के अनुसार कई गांवो को नए सिरे से बनाना बसाना होगा।
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