सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश केजरीवाल, फैसले को जनता और लोकतंत्र के खिलाफ बताया
फैसले के बाद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सुप्रीम कोर्ट के पैसले को जनता और लोकतंत्र के खिलाफ बताया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार के अधिकारों और शक्तियों को लेकर जो फैसला दिया है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उससे नाखुश नजर आ रहे हैं, फैसले के बाद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सुप्रीम कोर्ट के पैसले को जनता और लोकतंत्र के खिलाफ बताया। केजरीवाल ने कहा कि जब उनके पास किसी तरह का अधिकार ही नहीं होगा तो वे दिल्ली में सरकार किस तरह से चलाएंगे।
केजरीवाल ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार अपने अधिकारियों तक का तबादला नहीं कर सकती तो वह किस तरह से काम करेगी? उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को दिल्ली ने 67 सीटें जितवाई हैं, उस पार्टी को अधिकार नहीं है लेकिन जिस पार्टी ने सिर्फ 3 सीटें जीती हैं उसे अधिकार है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक चपरासी का भी तबादला नहीं कर सकता, यह कैसा जजमेंट है, यह गलत जजमेंट है। मुख्यमंत्री ने दिल्ली की जनता से कहा है कि इस लोकसभा चुनाव में सिर्फ प्रधानमंत्री बनाने के लिए नहीं बल्कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए वोट करो और दिल्ली की सभी 7 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जितवाओ।
अरविंद केजरीवाल से पहले आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नराजगी जताई। संजय सिंह ने ट्वीट करके लिखा ' दिल्ली की करोड़ों जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया सुप्रीम कोर्ट है या नायब तहसीलदार कोर्ट'।
दिल्ली का असली बॉस कौन है, इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर अलग-अलग राय आई है। यानी ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार किसे है, इसे लेकर दोनों जजों की राय अलग-अलग है जिसके बाद यह मामला बड़ी बेंच के पास भेजा गया है। जस्टिस सीकरी के अनुसार सेक्रटरी और उससे ऊपर के अधिकारी के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार एलजी के पास रहेगा, जबकि उससे नीचे के अधिकारी सीएम ऑफिस के कंट्रोल में रहेगा।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एंटी करप्शन ब्यूरो का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहने दिया है क्योंकि पुलिस पावर केंद्र सरकार के पास है। जस्टिस सीकरी जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने यह भी कहा कि संविधान पीठ के फैसले को ध्यान में रखना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नवंबर में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।