नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश की लाइफलाइन कहे जाने वाली सियांग नदी को चीन की नजर लग गयी है? नदी का पानी देखकर तो ऐसा ही लगता है क्योंकि शीशे की तरह साफ दिखने वाला सियांग नदी का पानी अचानक काला नजर आने लगा है। इस्ट सियांग जिले के अधिकारियों ने भी इसपर चिंता जाहिर की है और स्थिति को खतरनाक बताया है। अधिकारियों ने बताया है कि नदी अपने साथ काफी गाद लेकर आ रही है जिसके कारण इसका पानी उपयोग करने लायक नहीं रहा।
नदी के पानी में सिमेंट जैसा पदार्थ मिला हुआ नजर आ रहा है जिसके कारण इसके पानी को लोग उपयोग में नहीं ला पा रहे हैं। नदी की इस गंदगी के कारण इसमें मौजूद मछलियों मर रही है। इस बात की जानकारी पूर्वी सियांग जिले के डिप्टी कमिश्नर ने दी है। उन्होंने बताया कि मॉनसून के अंत में नदी पूरी तरह काली नजर आने लगी है। नवंबर से फरवरी तक नदी का पानी शीशे की तरह साफ रहता है लेकिन इस वर्ष स्थिति दूसरी है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि हमारे दादा-परदादा ने भी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया था।
वहीं बीते रविवार को सियांग नदी का दौरा करते हुए लोकसभा के सदस्य नोनिंग एरिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर कहा कि यह एक असामान्य घटना है, वह भी सर्दी के दिनों में। उन्होंने कहा कि यह चीनी सरकार सियांग नदी (तिब्बत में सांगपो) को संभवतः मोड़ने के कारण यह हो सकता है। प्रधानमंत्री से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की मांग की है।
शक्तिशाली सियांग नदी नवम्बर के महीने में गंदा होने का कोई अन्य कारण नहीं हो सकता है। यह चीनी क्षेत्र में नदी में बड़े स्तर पर खुदाई के कारण हुआ होगा। जिसे जमीनी वास्तविकता का पता लगाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए। यदि यह सच है तो यह भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन है।
आपको बता दें कि सियांग नदी ब्रह्मपुत्र नदी का प्रमुख घटक है जो 1,600 तक बहती है। दक्षिणी तिब्बत से यह नदी भारत में प्रवेश करती है। सियांग नदी को लोग दिहांग के नाम से भी जानते हैं।
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