नयी दिल्ली: भारत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी मसौदा संधि को जल्द अंगीकार करने के लिये दबाव बनायेगा जो 1986 के बाद से संयुक्त राष्ट्र में लंबित है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शुक्रवार को यह बात बतायी। पुलवामा आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति :सीसीएस: की बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि बैठक में पुलवामा आतंकवादी हमले के कारण उत्पन्न वास्तविक स्थिति का आकलन किया गया और इस बारे में गहन विचार विमर्श किया गया।
उन्होंने कहा कि साथ ही संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद के विषय पर मसौदा अंतरराष्ट्रीय संधि को अमलीजामा पहनाने के विषय पर पहल करना तय हुआ है। यह विषय आतंकवाद की परिभाषा को लेकर एकराय नहीं बन पाने के कारण संयुक्त राष्ट्र में 1986 से अटका हुआ है और यह मसौदा संधि 33 वर्षो से लागू नहीं की जा सकी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विदेश मंत्रालय इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ चर्चा करेगा।
जेटली ने बताया कि बैठक में यह तय किया गया कि विदेश मंत्रालय पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण रूप से अलग-थलग करने के लिये कूटनीतिक पहल आरंभ करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्तमंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, तीनों सेना अध्यक्ष और सीआरपीएफ के डीजी भी शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि पुलवामा में बृहस्पतिवार को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 40 जवान शहीद हो गए जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं।
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