नयी दिल्ली: सेना ने कहा है कि वह वित्तीय संकट का सामना कर रही है और दो मोर्चों पर युद्ध की स्थिति वाली आशंका के मद्देनजर आपात खरीद करने के लिए भी संघर्ष कर रही है। सेना ने संसद की एक स्थायी समिति से कहा कि अगले वित्त वर्ष में रक्षा बजट में उसके लिए आवंटित धन देश के सामने खड़ी कई सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। उसने उत्तरी सीमा पर चीन और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की हरकतों का उल्लेख किया है। उधर, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने यहां एक कार्यक्रम में चीन की सैन्य ताकत के बारे में बात की और कहा कि देश आर्थिक प्रगति के साथ रक्षा खर्च की जरूरत के महत्व को समझता है।
उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने कहा कि धन के अपर्याप्त आवंटन से सेना की आधुनिकीकरण योजना प्रभावित होगी। उप सेना प्रमुख ने स्थायी संसदीय समिति के समक्ष कहा कि सेना ने अपने आधुनिकीकरण योजना के तहत मेक इन इंडिया के लिए 25 परियोजनाओं की पहचान की है, लेकिन इनमें से कई को खत्म करना पड़ सकता है क्योंकि इसके लिए पर्याप्त बजट नहीं है।
उन्होंने कहा कि सेना का 68 फीसदी साजोसमान संग्रहालय में विरासत के रूप में रखने लायक हो गया है। इसमें मौजूदा समय में केवल 24 फीसदी साजोसमान इस्तेमाल करने लायक है, जबकि सेना के पास केवल 8 फीसदी साजोसमान ऐसा है जो पूरी तरह ‘स्टेट आफ द आर्ट’ यानी आधुनिक है। लेकिन यह आंकड़ा नाकाफी है। क्योंकि मौजूदा समय में किसी भी सेना के लिए आदर्श स्थिति यह है कि उसके पास औसतन एक तिहाई साजोसामान विंटेज श्रेणी, एक तिहाई मौजूदा जरूरत के मुताबिक, एक तिहाई साजोसामान आधुनिक और एक तिहाई स्टेट ऑफ आर्ट श्रेणी का साजोसामान हो।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीदार
सोमवार को स्टॉकहोम के थिंकटैंक इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत दुनिया का सबसे अधिक हथियार खरीदने वाला देश है। देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने और सेना को मजबूत करने के लिए भारत ने 2013-17 के बीच विश्व में खरीदे जाने वाले हथियारों में सर्वाधिक 12% हथियार खरीदे। 2008-12 और 2013-17 दौरान भारत का हथियार आयात 24% बढ़ा है। भारत को हथियार सप्लाई करने वाले देशों में पहला स्थान रूस का है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने हथियार खरीदने में पिछले 10 साल में करीब 100 अरब डॉलर खर्च किए हैं।
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