नई दिल्ली: भारतीय सेना के एक और अफसर पर आईएसआई के हनीट्रैप में फंसने का आरोप लगा है। आर्मी की इंटेलिजेंस विंग ने जबलपुर में पांच सौ छह आर्मी बेस वर्कशॉप से लेफ्टिनेंट कर्नल को हिरासत में लिया है। कर्नल के खिलाफ सेना के हाईली कॉन्फिडेंशियल पेपर लीक करने के मामले में यह कार्रवाई की गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि आईएसआई ने हनीट्रैप के जरिए उनसे खुफिया जानकारी हासिल की। भारतीय सेनाओं के अफसर, आईएसआई, हनीट्रैप और खुफिया जानकारी का लीक होना अब ये करीब-करीब एक ट्रेंड बनता जा रहा है।
इस बार आईएसआई के हनीट्रैप में फंसे हैं भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अफसर। सेना के बड़े अधिकारियों को शक तब हुआ जब लेफ्टिनेंट कर्नल के खाते में एक साथ बहुत बड़ी रकम जमा हुई। सूत्रों के मुताबिक ये रकम एक करोड़ रुपये थी। जब इतना बड़ा अमाउंट लेफ्टिनेंट कर्नल के खाते में आई तो उसके बाद से ही उनपर नज़र रखी जा रही थी। इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल के खिलाफ जांच शुरू की गई। रविवार रात करीब आठ बजे एक साथ तकरीबन 16-17 आर्मी अफसरों की गाड़ियां आर्मी बेस वर्कशॉप में दाखिल हुईं। चूंकि लेफ्टिनेंट कर्नल के अकाउंट में बड़ी रकम जमा हुई थी तो इस दौरान आईटी अफसर भी वहां मौजूद थे।
छानबीन इतनी लंबी चली कि सुबह के 8 बज गए यानि पूरे बारह घंटे। अफसर के अकाउंट से लेकर उनके कंप्यूटर और मोबाइल की डिटेल को खंगाला गया। अकाउंट में जमा बड़ी रकम और डॉक्यूमेंट की संवेदनशीलता को देखते हुए उनके मोबाइल और लैपटॉप को सीज किया गया। खबरों के मुताबिक इस लेफ्टिनेंट कर्नल की पत्नी भी आर्मी सप्लायर कोर में सीनियर अधिकारी है।
15 दिन के दौरान ये दूसरा मामला है जब सेना के अफसर पर खुफिया जानकारी लीक करने का आरोप लगा है। इससे पहले 31 जनवरी को एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह को गिरफ्तार किया गया था। 51 साल के मारवाह पर हनीट्रैप में फंसकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को खुफिया जानकारी देने का आरोप है।
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