नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार से राष्ट्रीय सुरक्षा व क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान होने का जिक्र करते हुए पूर्व सैनिकों के एक ग्रुप ने शुक्रवार को मांग की कि रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के मामलों में ‘केंद्रित’ जांच हो। इन पूर्व सैनिकों ने एक बयान जारी करते हुए यह भी मांग की कि ऐसे मामलों की सुनवाई ‘फास्ट-ट्रैक’ अदालतों में हो। अपने बयान में उन्होंने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड मामले में रिश्वत लेने के दोषी पाए जाने वालों को ऐसी सजा दी जानी चाहिए जो मिसाल बने।
पूर्व सैनिकों ने दावा किया कि रक्षा सौदों में रिश्वत को सिर्फ भ्रष्टाचार के मामले के तौर पर नहीं देखा जा सकता बल्कि इसे व्यापक संदर्भों में आतंकवाद जैसे अन्य कृत्यों की तरह ही ‘राष्ट्र विरोधी’ गतिविधि के तौर पर देखा जाना चाहिए। बयान पर हस्ताक्षर करने वाले 78 लोगों में एयर मार्शल (रिटायर्ड) एसपी सिंह, एयर मार्शल (रिटायर्ड) दुष्यंत सिंह, वाइस एडमिरल (रिटायर्ड) शेखर सिन्हा, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) वीके चतुर्वेदी और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अरविंद शर्मा शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगस्ता वेस्टलैंड मामले में घूस लेने के दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई महत्वपूर्ण है जो मिसाल बने जिससे इसके निरोधात्मक प्रभाव हों और भविष्य में ऐसे ही मामलों से निपटने के लिये यह नजीर के तौर पर देखी जाए।’
बयान में कहा गया कि सौदे में शामिल बिचौलियों के अलावा सरकार, नेताओं, उनके रिश्तेदार जिन्होंने रिश्वत ली या प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से भ्रष्टाचार से लाभान्वित हुए या किसी वजह से अनैतिक तरीकों के लिये जरिया बने, उन सभी को सजा मिलनी चाहिए। बयान में कुछ कांग्रेस नेताओं और उनके परिजनों के नामों का भी संदर्भ दिया गया है जिनका जिक्र कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के सत्ता में रहने के दौरान हुए वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे की जांच के दौरान हुआ है।
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