नई दिल्ली. लद्दाख में LAC पर जारी तनाव के बीच, सशस्त्र बलों की तरफ से इजरायली Heron UAV's को लेजर गाइडेड बम, सटीक निशाना लगाने वाले हथियारों और एंटी टैंक मिसाइलों से लैस करने की मांग की गई है ताकि दुश्मन की पोजिशन और बख़्तरबंद रेजिमेंट पर निशाना साधा जा सके। चीता नाम के इस प्रोजेक्ट पर लंबे समय बाद सशस्त्र बलों द्वारा फिर से काम शुरू कर दिया गया है। इस पर सरकार को 3,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आने की उम्मीद है।
सरकार के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "इस परियोजना के तहत, तीनों सेनाओं के लगभग 90 हेरॉन ड्रोन को लेजर-गाइडेड बम, एयर टू ग्राउंड और एयर-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस किया जाएगा।"
इस मामले पर डिफेंस मिनिस्ट्री की एक हाई लेवल बॉडी और रक्षा सचिव अजय कुमार द्वारा विचार किया जाएगा। अजय कुमार तीनों सेनाओं के लिए सभी पूंजी खरीद के प्रभारी हैं। प्रस्ताव में, सशस्त्र बलों ने ड्रोनों को मजबूत निगरानी और टोही पेलोड से लैस करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे दुश्मन की ठिकानों और स्टेशनों पर न सिर्फ नजर रखी जा सके बल्कि जरूरत पड़ने पर उन्हें ध्वस्त भी किया जा सके।
भारतीय बेड़े में शामिल Medium altitude long endurance drones को UAV भी कहा जाता है, जिनमें से ज्यादातर इजारयल से लिए गए हैं। इन्हें सेना और वायु सेना द्वारा लद्दाख सेक्टर के फॉरवर्ड इलाकों में चीन की सीमा के साथ तैनात किया गया है। ड्रोन चीनी सेना द्वारा disengagement को सत्यापित करने में मदद कर रहे हैं और साथ ही साथ उनकी टुकड़ियों की संख्या की जानकारी पता लगाने में भी मददगार साबित हो रहे हैं।
दुश्मनों के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने के लिए ड्रोन को अपग्रेड करने के प्रोजेक्ट में कई भारतीय-विकसित तकनीक और हथियार भी शामिल होंगे। सूत्रों की मानें तो उन्नत यूएवी का इस्तेमाल पारंपरिक सैन्य अभियानों के साथ-साथ भविष्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों के खिलाफ किया जा सकता है। टोही क्षमताओं में अपग्रेड से जमीन पर सुरक्षाबलों को उन क्षेत्रों में ठिकाने के बारे में खुफिया जानकारी मिलने में मदद होगी, जहां अभी ऑपरेशन के लिए सैनिकों को लगाना पड़ता है। UAV's का अपग्रेड सशस्त्र बलों के ग्राउंड स्टेशन हैंडलर को इनको दूर से संचालित करने और उपग्रह संचार प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित करने में भी सक्षम करेगा।
Source- ANI
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