दुश्मनों के छक्के छुड़ाने भारत आ रहा है अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर....
अपाचे को अमेरिकी सेना के एडवांस्ड अटैक हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के लिए डेवलप किया गया था। उस समय अमेरिकी सेना एएच-1 कोबरा हेलीकॉप्टर को प्रयोग करती थी। अपाचे ने पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 को भरी थी। अपाचे को 1981 तक एएच-64 नाम से जाना जाता था। इसे 1981
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर गहराए तनाव के मद्देनजर भारतीय थलसेना के लिए छह अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को इस संबंध में लंबित प्रस्ताव में मंजूरी दे दी। हेलिकॉप्टरों की खरीद पर 4,168 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। थलसेना को पहली बार अटैक हेलिकॉप्टर मिलेंगे। अपाचे भारतीय सेना के लिए पश्चिमी सीमाओं पर टैंक युद्ध जैसी स्थिति में काफी अहम भूमिका निभा सकता है। पहाड़ों के बीच उड़ान में काफी सक्षम माने जाने वाले ये हेलिकॉप्टर चीन के साथ युद्ध की स्थिति में भी काफी कारगर साबित हो सकते हैं। ये भी पढ़ें: ‘नेहरू नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे देश के पहले प्रधानमंत्री’
इससे पहले 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) ने अमेरिका से 2.5 बिलियन डॉलर यानी 165 अरब रुपये के रक्षा सौदे को मंजूरी दे थी। सौदे के मुताबिक भारत अमेरिका की कंपनी बोइंग से 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों और 15 शिनूक हेवी हेलिकॉप्टरों की खरीदारी करेगा। अपाचे हेलीकॉप्टर बिजली की गति से कहीं भी और किसी भी मौसम में हमला करने में सक्षम है। यह बेहद कम उंचाई पर उड़कर हवाई हमले के साथ ही जमीनी हमले करने में भी सक्षम हैं।
ये हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना के सबसे शक्तिशाली हेलीकॉप्टर हैं। जो हेलफायर मिसाइलों से लैस होंगे जो एमआई-35 हेलीकॉप्टर की जगह लेंगे। सेना ने 39 अपाचे हेलीकॉप्टरों की जरुरत बताई है। पहला अपाचे हेलीकॉप्टर 3 सालों के अंदर मिल जाएगा। जिसके लिए भारत सरकार ने 2.5 बिलियन के इस सौदे की 15 फीसदी राशि एडवांस में जारी कर दी है। बाकि की राशि हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी के साथ ही जारी किए जाएंगे।
अपाचे फाइटर हेलीकॉप्टरों की खासियत...
अपाचे को अमेरिकी सेना के एडवांस्ड अटैक हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के लिए डेवलप किया गया था। उस समय अमेरिकी सेना एएच-1 कोबरा हेलीकॉप्टर को प्रयोग करती थी। अपाचे ने पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 को भरी थी। अपाचे को 1981 तक एएच-64 नाम से जाना जाता था। इसे 1981 के अंत में अपाचे नाम दिया गया। अमेरिकी सेना में उस समय अपने हेलीकॉप्टरों का नाम अमेरिकी भारतीय जनजातीय नामों पर रखती थी। अप्रैल 1986 में अपाचे को अमेरिकी सेना में शामिल किया गया।
आज ये हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना के अलावा इजरायली वायुसेना, इजिप्टियन वायुसेना और नीदरलैंड की आर्मी इस्तेमाल करती है। इजरायल इसी हेलीकॉप्टर की मदद से गजा पट्टी में अपने दुश्मनों पर कहर ढाती रही है। इस हेलीकॉप्टर में 30 एमएम गन लगी हुई है, जो बहुत ही घातक होता है।
अगले स्लाइड में जानें इसे क्यों कहा जाता है फ्लाइंग टैंक.....