BLOG: GST विरोध के लिए अमिताभ बच्चन का सहारा
पूरे देश में जीएसटी, जुलाई 2017 से लागू होने जा रही है। सरकार की ओर से इसे आज़ादी के बाद कर सुधार की दिशा में सबसे बड़ा कदम बताया जा रहा है। टीवी चैनलों में प्रसिद्ध सिने स्टार अमिताभ बच्चन GST को लेकर एक विज्ञापन कर रहे हैं
पूरे देश में GST, जुलाई 2017 से लागू होने जा रही है। सरकार की ओर से इसे आज़ादी के बाद कर सुधार की दिशा में सबसे बड़ा कदम बताया जा रहा है। टीवी चैनलों में प्रसिद्ध सिने स्टार अमिताभ बच्चन GST को लेकर एक विज्ञापन कर रहे हैं, इसमें इसे एक देश एक कर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
लेकिन व्यापारियों का एक बड़ा धड़ा और विपक्ष सरकार के इस दावे से सहमत नहीं है। उनका मानना है कि GST से केवल बड़े उद्योगपतियों को फायदा होगा, छोटे व्यापारियों का धंधा तो पूरी तरह से चौपट होने वाला है। इनके इस दावे को कांग्रेस भी हवा दे रही है। कांग्रेस के अनुसार नोटबंदी की तरह ही सरकार इसे भी बिना तैयारी के जबरदस्ती लागू करना चाहती है, जिसका परिणाम पूरा देश भुगतेगा। दिलचस्प तथ्य ये है कि GST कांग्रेस की ब्रेन चाइल्ड है। कांग्रेस अब इस मुद्दे पर सरकार को घेर नहीं पा रही है तो चर्चा में आने के लिए कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने GST को लेकर बनाये गये विज्ञापन पर ही सवाल उठा दिया। निरुपम के मुताबिक अमिताभ जी जैसे प्रतिष्ठित अभिनेता को इस तरह के विवादस्पद मामलों से दूर रहना चाहिए।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक जिस व्यक्ति का नाम पनामा लीक्स में और हो वो पूरे देश को ईमानदारी से टैक्स चुकाने की सलाह दे ये तो हास्यास्पद है। उनके मुताबिक बच्चन साहब सरकार की मदद के बहाने कहीं अपनी राह तो आसान नहीं कर रहे? लेकिन इससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण सवाल ये है कि कांग्रेस GST जैसे राष्ट्रीय महत्व के प्रश्न पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या सरकार को सीधे घेरने की बजाय इस विज्ञापन पर सवाल उठा रही है। क्या लोगों ने कांग्रेस को सुनना बंद कर दिया है? कहीं ये न्यूज़ में बने रहने का प्रयास तो नहीं ?
लेकिन इस कहानी का एक और पहलू भी है...
अमिताभ बच्चन को इस विज्ञापन से किसने जोड़ा ? इस विज्ञापन को किस कंपनी ने बनाया और किन-किन अधिकारियों ने इसे अप्रूव किया उस पर कोई बात नहीं कर रहा है। क्या उन लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? क्या उन्हें ये नहीं पता था कि जिस सिनेस्टार को विज्ञापन के लिए चुना जा रहा है उनका नाम पनामा लीक्स जैसे मामले से जुड़ा हुआ है? दरअसल इस विज्ञापन को बनाया है स्क्वायर कम्युनिकेशन्स ने। इसी कंपनी ने कुछ ही दिन पहले बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू को लेकर भी इसी तरह का एक विज्ञापन बनाया था, इसी सीरीज़ में अभी चार और विज्ञापन आने बाकी हैं। सवाल ये है कि जब इस कंपनी ने इसके लिए अमिताभ को चुना तो क्या उसने कोई अप्रूवल लिया था? और अगर लिया था तो वे कौन - कौन से अधिकारी हैं जिन्होंने इसे हरी झंडी दी? और क्या उन्हें इस बात की खबर नहीं थी कि अमिताभ का नाम किन - किन मामलों से जुड़ा है? और अगर सबकुछ पता था तो क्या उन्होंने ये जान बूझ कर किया?
उधर स्क्वायर कम्युनिकेशन्स का कहना है कि GST को समझाने के लिए अमिताभ को लेकर उन्होने कुछ भी गलत नहीं किया है। कंपनी के संस्थापक और प्रेजिडेंट नवनीत कपूर के मुताबिक जीएसटी जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय को समझाने के लिए अमिताभ जी से बेहतर और कौन हो सकता है ? अमिताभ जी इस सदी के महानायक हैं और शायद इस दौर में सबसे अधिक लोकप्रिय भी। उन्हें इस विज्ञापन से जोड़ने का फैसला हमारी क्रिएटिव टीम का था। हमने इससे पहले मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू के साथ भी इसी विषय पर एक विज्ञापन बनाया है उस पर तो किसी ने कोई आपत्ति नहीं की।
अब सवाल उठता है कि क्या अमिताभ का इस विज्ञापन में आना गलत है? और गलत है तो क्या इस विज्ञापन को बनाने वाली कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती ? क्या इसे अप्रूव करने वाले अधिकारियों का कोई दोष नहीं है ? या विपक्ष को कोई ना कोई मुद्दा चाहिए जिससे कि वो मीडिया में बना रह सके।
अगर जीएसटी का विरोध ही करना है तो सरकार को घेरिए, धरना प्रदर्शन कीजिए, विरोध के दूसरे तरीके अपनाइये.. केवल अमिताभ के पीछे पड़ने से वो सब कुछ हासिल हो जाएगा जो आप चाहते हैं ? या आप सीधे सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नहीं घेर पा रहे हैं तो न्यूज़ में बने रहने के लिए अमिताभ को घेर लिया। नमो नाम का सहारा न मिला तो अमिताभ नाम जप लिए।
आखिर जीएसटी का विरोध करने वाले लोगों की मनसा क्या है? और अगर इतने विरोध के बाद भी लागू हुआ तो वे क्या करेंगे? क्या इसके बाद वो अपना सिर पीटेंगे या अमिताभ को या उस मीडिया कंपनी को या किसी और मुद्दे को तलाशते रहेंगे?
लेखक: रविकांत द्विवेदी