बदलने वाला है जम्मू-कश्मीर का नक्शा? मोदी-शाह का मास्टर प्लान तैयार
मिशन कश्मीर के तहत मोदी और शाह की सबसे बड़ी चुनौती है आतंकियों से निपटने की और इसे लेकर भी एजेंडा फिक्स है। खासकर गृहमंत्री की कुर्सी संभालते ही अमित शाह फुल एक्शन में हैं। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक करके आतंकियों के खिलाफ नई रणनीति बना ली है।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह एक्शन मोड में है। खासकर शाह ने गृह मंत्रालय का चार्ज संभालते ही मिशन कश्मीर पर काम शुरु कर दिया है और बैठकों का दौर जारी है। मकसद ना सिर्फ सरहद पार से आने वाले आतंकियों का खा़त्मा करना है बल्कि कश्मीर की गोद में बैठकर आतंकियों को पालने वालों की भी अब खैर नहीं है। इन सबके बीच जम्मू कश्मीर पर मोदी सरकार एक और बड़ा फैसला कर सकती है।
पिछले 4 दिनों में जम्मू-कश्मीर पर ताबड़तोड़ बैठकों के बाद ये साफ है कि पीएम मोदी और उनकी सरकार के नंबर 2 यानी गृहमंत्री अमित शाह के तरकश का पहला तीर कहां चलने वाला है। जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी और शाह का मास्टर प्लान तैयार है और बड़ी ख़बर ये है कि मोदी सरकार अब जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन पर विचार कर रही है। इसके लिए गृह मंत्रालय में एक परिसीमन कमीशन तक बनाया जा सकता है। इस ख़बर से ही जम्मू कश्मीर में बीजेपी नेताओं का जोश हाई है।
दरअसल जम्मू क्षेत्र कश्मीर के मुकाबले काफी बड़ा है लेकिन विधानसभा सीटों की संख्या कम है। 111 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 87 पर चुनाव होते हैं जिनमें कश्मीर में सबसे ज़्यादा 46, जम्मू में 37, जबकि लद्दाख में 4 सीटें हैं। अगर परिसीमन हुआ तो PoK के लिए खाली पड़ी 24 सीटें भी जम्मू क्षेत्र में जुड़ जाएंगी।
अब बीजेपी को लगता है कि ऐसा होने पर जम्मू में पहले से मज़बूत पार्टी का दबदबा और बढ़ जाएगा। हालांकि इसकी चर्चा भर से ही पूर्व मुख्यमंत्री व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का पारा चढ़ चुका है और उन्होंने विरोध की आवाज़ बुलंद कर दी है।
मीडिया में यह खबर आने पर कि केंद्र विधानसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन कराने पर विचार कर रहा है, महबूबा ने प्रतिक्रया देते हुए हुए अपने ट्विटर पेज पर कहा, ‘जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का नक्शा फिर से खींचने की योजना के बारे में सुनकर परेशान हूं।’ महबूबा ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, ‘जबरन सरहदबंदी साफ तौर पर सांप्रदायिक नजरिये से सूबे के एक और जज्बाती बंटवारे की कोशिश है।’
मिशन कश्मीर के तहत मोदी और शाह की सबसे बड़ी चुनौती है आतंकियों से निपटने की और इसे लेकर भी एजेंडा फिक्स है। खासकर गृहमंत्री की कुर्सी संभालते ही अमित शाह फुल एक्शन में हैं। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक करके आतंकियों के खिलाफ नई रणनीति बना ली है। 10 मोस्टवांटेड आतंकियों की एक लिस्ट तैयार की गई है जो अब सुरक्षा एजेंसियों का सबसे अहम निशाना होंगे। इस लिस्ट में रियाज नाइकू, वसीम अहमद उर्फ ओसामा और अशरफ मौलवी जैसे आतंकी शामिल हैं।
वैसे आपको बता दें कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया हुआ है। घाटी में साल 2018 में करीब ढाई सौ आतंकी मार गिराए जा चुके हैं और अब एक बार फिर टॉप आतंकियों को जहन्नुम भेजने की तैयारी हो चुकी है।
सरकार आतंकियों के ख़िलाफ़ फुलप्रूफ प्लानिंग कर रही है तो आतंकियों के मददगार भी रडार पर हैं। इसी का नतीजा है अलगाववादी नेता मसर्रत आलम, आसिया अंद्राबी और शब्बीर शाह की गिरफ्तारी जिनको NIA कोर्ट ने दस दिनों के लिए NIA की कस्टडी में भेज दिया है। इन पर आरोप है कि 2008 मुंबई हमलों के दौरान इन लोगों ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी सगठनों से पैसा लिया जिसका इस्तेमाल भारत में आंतकवादी गतिविधियों में किया गया।
इतना ही नहीं पुलवामा हमले के बाद अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा वापस लेकर भी मोदी सरकार संदेश दे चुकी है कि हिदुस्तान का खाना और पाकिस्तान का गाना अब नहीं चलेगा। ज़ाहिर है, जम्मू कश्मीर में अमन बहाल करना हमेशा से ही मोदी सरकार की प्राथमिकताओं और चुनौतियों में शामिल रहा है और अब दूसरी पारी में भी जम्मू-कश्मीर का मुद्दा मोदी सरकार के लिए सबसे अहम है।