नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच डोकलाम सीमा विवाद को लेकर तनातनी लगातार बढ़ता जा रहा है और अब तक कोई रास्ता नहीं निकल सका है। चीन के इस बरताव से देश के नागरिकों में भी नाराजगी बढ़ती जा रही है। चीन को सबक सिखाने के लिए वहां बने सामानों के बहिष्कार का संकल्प भी लगातार मजबूत हो रहा है। इसी सिलसिले में राखी का सामान बेचने वाले व्यापारियों का कहना है कि बाजार में चीन के उत्पादों की मांग में भारी कमी देखने को मिल रही है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
इस साल रक्षाबंधन 7 अगस्त को है। सोशल मीडिया पर चीन के उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम चल रही है और इसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है। व्यापारियों का मानना है कि शायद जनभावना के कारण या फिर देशभक्ति की वजह से चीनी राखियां इस साल बाजार से गायब हैं। भारत में बनी राखियों से बाजार सजा हुआ है और उनकी ही अच्छी बिक्री भी हो रही है। सीमा पर चीन की नापाक हरकतों का पता देश के हर तपके में हैं और शायद इसीलिए इस बार अमीर हो या गरीब सिर्फ भारतीय धागों में बिंधी सांस्कृतिक राखियां ही खरीद रहे हैं।
कुछ दुकानदार पटरियां लगाकर, एलईडी जड़ित चमकीली राखियां, और सिंपल नग जड़ित धागे वाली चीनी राखियों का धंधा तो कर रहे हैं लेकिन उनकी भी मानें तो उनका धंधा बहुत मंदा है क्योंकि इन राखियों की कोई डिमांड नहीं है। भारतीय त्योहारों की नब्ज पकड़कर चीन हर तरह के सस्ते आइटम बनाता है और भारतीय बाजारों में खूब बिकता भी है। लेकिन इस बार की राखी चीनी राखियों के बहिष्कार के साथ मनाने की बात लोग ठान चुके हैं।
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