पवनपुत्र हनुमान की एक ऐसी तस्वीर जिसे देखकर आप रह जाएंगे दंग, जानें इस तस्वीर का सच
सोशल मीडिया में बजरंगबली की एक ऐसी तस्वीर वायरल है जिसमें उन्हें बेहद गुस्से में दिखाया गया है। बजरंग बली बलशाली हैं लेकिन तस्वीरों में उनके चेहरे पर हमेशा शांत भाव रहता है।
नई दिल्ली: सोशल मीडिया में बजरंगबली की एक ऐसी तस्वीर वायरल है जिसमें उन्हें बेहद गुस्से में दिखाया गया है। बजरंगबली बलशाली हैं लेकिन तस्वीरों में उनके चेहरे पर हमेशा शांत भाव रहता है। लेकिन वायरल तस्वीर में पवनपुत्र को बेहद क्रोधित दिखाया गया है। एंग्री हनुमान के नाम से यह तस्वीर एक ट्रेंड बन चुकी है। इसके स्टीकर्स बनने लगे हैं। देश के कई शहरों में टू और फोर ह्वीलर्स पर इन दिनों यह तस्वीर चिपकी नजर आ रही है। इन स्टीकर्स में हनुमान जी बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया में अब ये बडा एक विवाद बन चुका है।
नोट करने वाली बात ये भी है। इस तस्वीर में काले रंग का भी इस्तेमाल किया गया है। इस रंग को नाकारात्मक उर्जा का प्रतीक माना गया है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इसे देवी देवताओं और पूजापाठ में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मतलब साफ है कि काले रंग का इस्तेमाल उनकी नाराजगी को दर्शाने के लिए किया गया है।
इंडिया टीवी ने जब एंग्री हनुमान की तहकीकात शुरु की तो पता चला कि यह तस्वीर सबसे पहले कर्णाटक की सड़कों पर नजर आई। बैंग्लुरू में इंडिया टीवी संवाददाता ने उस कलाकार को ढूंढ निकाला जिसने एंग्री हनुमान की तस्वीर बनाई थी। इस तस्वीर को करण आचार्य नाम के एक कलाकार ने बनाया है। करण नॉर्थ केरल के कासरगोड़ जिले में कुंबले गांव में रहने वाले हैं। इस तस्वीर को उन्होने 2015 में बनाया था जब गांव के लोगों ने गणेश चतुर्थी पर झंडे पर लगाने के लिए कोई निशान बनाने को कहा। गांव के लोगों की मांग पूरी करने के लिए करण आचार्य ने यह तस्वीर बनाई और व्हास्ट्सऐप पर अपने दोस्तों को भी भेजा। उसके बाद से ये धीरे धीरे फैलता गया। यह किसी को मालूम नहीं कि सोशल मीडिया में किसने इस तस्वीर को कहां-कहां भेजा लेकिन पिछले कुछ महीनों से ये तस्वीर पूरे देश में फैल गई। अब यह लाखों गाड़ियों के बैक विंडों पर नजर आ रही है। बाजार में और आनलाइन भी एंग्री हनुमान स्टीकर्स तेजी से बिक रहे हैं।
करण ने बताया कि इसे किसी खास मकसद से नहीं बनाया गया। लोगों को बजरंगबली का यह रुप पसंद आ रहा है इसलिए वो अपनी गाड़ियों पर लगा रहे हैं। वैसे एक कलाकार को इतनी छूट तो होनी ही चाहिए कि वो अपनी कल्पना से देवी-देवताओं के अलग-अलग रुप को तस्वीरों में उतार सके।