श्रीनगर | शहीद दिवस के सिलसिले में अलगाववादियों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए अधिकारियों ने शनिवार को श्रीनगर शहर के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगाए। जम्मू एवं कश्मीर में 13 जुलाई शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1931 में डोगरा महाराजा की सेना द्वारा श्रीनगर सेंट्रल जेल के बाहर गोलीबारी में कई लोग मारे गए थे।
उन लोगों को याद किया जा सके इसलिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1947 में स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को सम्मानित करने के लिए राज्य सरकार ने दिन मनाया। इस मौके पर यहां राज्य में सार्वजनिक अवकाश है। पुलिस सूत्रों ने कहा कि ओल्ड सिटी इलाकों के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगाए गए हैं।
सूत्रों ने कहा, "ये प्रतिबंध सुरक्षा की दृष्टि से लगाए गए हैं और कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी हैं।" सबसे पहले ख्वाजा बाजार में शहीद कब्रिस्तान में पहुंचने वाले, पुराने शहर श्रीनगर के नक्काशबंद साहिब क्षेत्र में खुर्शीद अहमद गनाई रहे, जो राज्य के राज्यपाल के सलाहकार हैं। गनाई ने कब्रिस्तान में 'फतेह' की नमाज अदा की और पुष्प अर्पित किए।
श्रद्धांजलि देने वाले अन्य लोगों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जी.ए. मीर, माकपा के राज्य सचिव एमवाईटी अरिगामी, अवामी इत्तेहाद पार्टी के अध्यक्ष इंजीनियर रशीद, डेमोक्रेटिक पार्टी राष्ट्रवादी के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख हकीम मुहम्मद यासीन शामिल रहें।
श्रीनगर और कश्मीर घाटी के कई अन्य शहरों में दुकानें, सार्वजनिक परिवहन और अन्य व्यवसाय बंद रहे। घाटी में श्रीनगर और अन्य स्थानों पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है।
Latest India News