अमरिंदर सिंह ने पंजाब के किसानों के खिलाफ ‘गलत सूचना’ फैलाने के लिए केंद्र की आलोचना की
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने "बंधुआ मजदूरों" की दुर्दशा पर एक हालिया पत्र के जरिए राज्य के किसानों के बारे में "गलत सूचना" फैलाने के लिए रविवार को केंद्र सरकार की आलोचना की।
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने "बंधुआ मजदूरों" की दुर्दशा पर एक हालिया पत्र के जरिए राज्य के किसानों के बारे में "गलत सूचना" फैलाने के लिए रविवार को केंद्र सरकार की आलोचना की। अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह "पंजाब के किसानों को बदनाम करने की एक और साजिश है", जिन्हें केंद्र सरकार और भाजपा "लगातार आतंकवादी, शहरी नक्सली और गुंडे बताकर बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं" ताकि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन पटरी से उतर जाए। मुख्यमंत्री पंजाब में मुक्त कराए गए 58 "बंधुआ मजदूरों" की दुर्दशा पर राज्य सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र का जवाब दे रहे थे।
अमरिंदर सिंह ने पंजाब में बंधुआ मजदूरों के रूप में लोगों का उपयोग करके किसानों पर "अनुचित आरोप" लगाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की और पत्र को ‘झूठ का पुलिंदा’ बताया। मुख्यमंत्री ने यहां एक बयान में कहा कि पूरे प्रकरण के विश्लेषण से पता चलता है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा अस्थिर भारत-पाक सीमा के करीब से कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की गिरफ्तारी को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अत्यधिक संवेदनशील जानकारी को किसान समुदाय को बदनाम करने के लिए अनैतिकता से बेबुनियादी अनुमानों में बदला गया।
उन्होंने कहा, “यह वास्तविकता इस तथ्य से और पुख्ता होती है कि कुछ प्रमुख समाचार पत्रों और मीडिया संगठनों को गृह मंत्रालय पत्र की सामग्री चयनात्मक रूप से लीक की गई और यह राज्य सरकार की उचित प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा किए बिना किया गया।” सिंह ने कहा कि उनकी सरकार और पुलिस गरीबों और दबे-कुचलों के मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए सक्षम है और हर मामले में उपयुक्त कार्रवाई पहले ही शुरू की जा चुकी है तथा अधिकतर लोग अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
उन्होंने कहा, “किसी भी स्तर पर कुछ भी संज्ञान में आता है तो अपराधियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।" गौरतलब है कि पंजाब के मुख्य सचिव को 17 मार्च को लिखे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि बीएसएफ ने पाया कि इन 58 लोगों को अच्छा वेतन देने का वादा करके पंजाब लाया गया था, लेकिन उनका शोषण किया गया और राज्य में पहुंचने के बाद उन्हें मादक पदार्थ दिए गए और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया गया।
गृह मंत्रालय ने कहा कि बीएसएफ ने सूचित किया था कि इन मजदूरों को 2019 और 2020 में पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर के सीमावर्ती क्षेत्रों से पकड़ा गया था। सिंह ने पत्र को ‘पूरी तरह से अवांछित’ और ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ बताया और इसे खारिज किया।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि न तो डेटा और न ही बीएसएफ द्वारा दी गई रिपोर्ट पत्र की सामग्री के अनुरूप है। उन्होंने बयान में कहा, “ऐसे मामलों की जांच करना बीएसएफ का काम नहीं है और वे केवल संदिग्ध परिस्थितियों में सीमा के पास घूमते पाए गए किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने और उसे स्थानीय पुलिस को सौंपने के लिए जिम्मेदार हैं।”