अलवर लिचिंग केस: वायरल वीडियो में कहते दिखाई दिए निलंबित ASI 'मेरे से गलती हो गई'
समिति ने ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले चार पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए रामगढ़ पुलिस थाने के उस समय के प्रभारी सहायक पुलिस उपनिरीक्षक मोहन सिंह को निलंबित कर दिया और तीन पुलिस कर्मियों को पुलिसलाइन भेज दिया।
जयपुर: राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में गो तस्करी के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किये जाने के मामले में पुलिस की लापरवाही उभर कर सामने आयी है, जिसके बाद आज चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। हालांकि पुलिस ने कहा कि यह 'हिरासत में मौत' का मामला नहीं है, जो कुछ भी हुआ वह स्थानीय पुलिस की स्थिति को निपटने में लिये गये निर्णय की त्रुटि के कारण हुआ। स्थानीय पुलिस पर लगे आरोपों की जांच के लिये पुलिस महानिदेशक ओ पी गलहोत्रा ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया। समिति ने ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले चार पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए रामगढ़ पुलिस थाने के उस समय के प्रभारी सहायक पुलिस उपनिरीक्षक मोहन सिंह को निलंबित कर दिया और तीन पुलिस कर्मियों को पुलिसलाइन भेज दिया। विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एनआरके रेड्डी ने को बताया कि शनिवार को पुलिसकर्मी घटना स्थल पर देर रात करीब एक बजकर 15 मिनट या डेढ़ बजे पहुंचे और पीड़ित को मिट्टी से सना हुआ पाया।
अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने अकबर के शरीर की सफाई की। उन्होंने सोचा कि पीड़ित की हालत गंभीर नहीं है, इसलिए उसे पहले पुलिस थाने लेकर गये और गायों को आसपास के गौशाला में स्थानांतरित करने के लिये वापस घटना स्थल पहुंचे और फिर थाने आकर पीड़ित को अस्पताल ले गये। पीड़ित को पानी, चाय भी पूछा था। उसे तड़के चार बजे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसलिए यह निर्णय लेने की त्रुटि प्रतीत होती है। रेड्डी ने दावा किया कि प्राथमिक जांच में पुलिसकर्मी पीड़ितों को मारने में शामिल नहीं पाए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि यह 'हिरासत में मौत' का मामला नहीं है। मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और पुलिस की अलग-अलग टीम घटना में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। पुलिस ने शनिवार को धर्मेन्द्र यादव और परमजीत सिंह को गिरफ्तार किया था, जबकि तीसरे आरोपी नरेश सिंह को कल गिरफ्तार किया। तीनों आरोपी पुलिस की पांच दिन की रिमांड पर है। वहीं निलंबित किये गये सहायक पुलिस उपनिरीक्षक मोहन सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें अधिकारी अकबर खान उर्फ रकबर खान को अस्पताल ले जाने में हुई देरी की गलती को स्वीकारते दिखाई दे रहे हैं।
वीडियो में रामगढ़ थाने में तैनात सहायक उपनिरीक्षक मोहन सिंह यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, ‘‘...मेरे से गलती हो गई.....कैसे भी मान लो....सजा दे दो या छोड़ दो....सीधी सी बात है।’’ वीडियो सामने आने के बाद सहायक उपनिरीक्षक को निलंबित कर दिया गया। इस घटना ने एक राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। अलवर के रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक ज्ञान देव आहुजा ने स्थानीय पुलिस पर आरोप लगाया है, वहीं विपक्षी कांग्रेस ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है और निष्पक्ष जांच सुनिश्वित करने के लिये न्यायिक जांच या सीबीआई जांच की मांग की है। आहुजा ने आरोप लगाया कि पीड़ित की मौत पुलिस की लापरवाही के कारण हुई है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने मामले की न्यायायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘‘मामले में न्यायिक जांच की जरूरत है क्योंकि पुलिस अधिकारी की जांच पक्षपातपूर्ण हो सकती है। घटना की तह तक जाने के लिये न्यायिक जांच की जानी चाहिए।’’ भाजपा सरकार पर हमला करते हुए पायलट ने कहा, ‘‘भीड़ द्वारा मारपीट और लोगों की हत्या भाजपा शासित राज्यों में आम हो गयी है। कुछ साल पहले तक भीड़ द्वारा मारपीट शब्द कभी नहीं सुना जाता था। असामाजिक तत्वों को कानून हाथ में लेने, लोगों पर हमला करने, दिन दहाड़े लोगों को मारने की खुली छूट दे दी गई है।’’
पायलट ने बताया, "राजस्थान में भाजपा सरकार विकास के मोर्चे पर असफल रही है, इसलिए अब विभाजनकारी राजनीति कर रही है और समाज में हिंसा और घृणा फैला रही है, जो सभ्य समाज में पूरी तरह से अस्वीकार्य है।" उन्होंने कहा कि प्रशासन और पुलिस भाजपा के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "सरकार ने विश्वास खो दिया है और विकास के मोर्चों पर असफल रही है। इसलिए वे इस तरह की राजनीति का सहारा ले रहे हैं जो नागरिक समाज और देश के लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है।’’ अलवर के पूर्व कांग्रेस सांसद भंवर जितेंद्र सिंह ने भी घटना की न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी घटनाएं होती रहती है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भीड़ द्वारा मारपीट की घटना की सीबीआई से जांच की मांग की है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "यह एक रहस्य की बात है। पीड़ित को अस्पताल ले जाना पुलिस का कर्तव्य था, लेकिन इसके बजाय पीड़ित को पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। यह जांच का मामला है।’’उन्होंने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कर्तव्य नहीं था कि घटना की निष्पक्ष जांच करवाई जाये? मेरे विचार से घटना की निष्पक्ष जांच के लिये इसे सीबीआई को सौंप देना चाहिए।