नई दिल्ली: आरूषि मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में चौंकाने वाली बातें कही गई हैं। हाईकोर्ट ने CBI से कहा कि आपने अपने मन से एक कहानी गढ़ी फिर उसमें मनमुताबिक किरदार फिट किए और पूरी फिल्म बना दी। कोर्ट ने कहा कि आप लोगों ने कानून की किताब पढ़ना तो दूर कभी देखी भी है या नहीं। CBI ने केस बनाया था कि आरूषि और घऱ के नौकर हेमराज के बीच रिश्ते थे। राजेश तलवार ने हेमराज को आरूषि के कमरे में देखा और गुस्से में आकर मार दिया। फिर हेमराज के शव को बेडशीट में घसीटते हुए छत पर ले गए।
हाईकोर्ट ने कहा...इस थ्योरी पर कौन भरोसा करेगा...कोई सबूत नहीं है। कोई गवाह नहीं हैं....कोई परिस्थितिजन्य साक्ष्य नहीं हैं। अगर हेमराज को आरूषि के कमरे में मारा गया तो उसके खून के निशान उस कमरे से क्यों नहीं मिले? फोरेंसिक रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि कमरे में आरूषि का खून तो मिला लेकिन किसी बेडशीट पर या कमरे की दीवार पर हेमराज के खून के निशान नहीं मिले। सीएफएसएल दिल्ली की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरुषि के तकिये, बेडशीट और गद्दे की जांच में हेमराज का कोई डीएनए या ब्लड नहीं पाया गया था। जबकि सीडीएफडी, हैदराबाद के डीएनए एक्सपर्ट ने बताया कि कमरे से सिर्फ आरुषि का ही डीएनए मिला था। इन रिपोर्ट्स को हाईकोर्ट ने एक्सेप्ट किया। अगर हेमराज की लाश को सीढ़ियों से घसीट कर छत पर ले जाया गया तो सीढियों पर खून के निशान होने चाहिए थे वो भी नहीं मिले।
अदालत ने कहा कि CBI ने ये निष्कर्ष कहां से निकाला ये समझ से बाहर है क्योंकि फॉरेन्सिक रिपोर्ट ही उसकी कहानी को गलत साबित कर रही है। सीबीआई कोई ऐसा सबूत दे ही नहीं पाई जो इस बात को जरा सा भी साबित कर दे कि हेमराज का मर्डर आरुषि के बेडरूम में हुआ।कातिल कोई और हो सकता है।
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