अलीगढ़ (उप्र): संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में गत 13 से 16 दिसम्बर के बीच प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं की जांच के लिये गठित समिति ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी.के. गुप्ता की एक सदस्यीय समिति के सामने छात्र तथा एएमयू के कर्मचारी आगामी सात फरवरी से पहले अपने लिखित बयान दर्ज कराएंगे।
इसी तरह हिंसा के मामले में पुलिस द्वारा एएमयू के छात्रों के खिलाफ दर्ज कराये गये मुकदमों की समीक्षा के लिये कुलपति तारिक मंसूर द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति के भी अपना काम जल्द ही शुरू करने की सम्भावना है। एएमयू के प्रवक्ता उमर पीरजादा ने कहा कि इस समिति के गठन का मकसद 'झूठे आरोपों' में फंसाये गये छात्रों की मदद करना है।
गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में गत 15 दिसम्बर को एएमयू में हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान हुई पुलिस कार्रवाई में कई छात्र घायल हो गये थे। इस मामले में बड़ी संख्या में छात्रों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये गये थे।
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