PHOTOS: आसाराम को अब भी भगवान मानते हैं उनके भक्त, दुआ मांगते हुए आंखों से छलके आंसू
आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने नाबालिग से रेप केस में उम्रकैद और अन्य दो दोषियों को 20-20 साल कैद की सजा सुना दी है।
जोधपुर: नाबालिग से रेप केस में आसाराम पर जोधपुर कोर्ट का फ़ैसला आ चुका है। फैसला सुनाने के लिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जोधपुर जेल में ही कोर्ट बनाया गया था और जज मधुसूदन शर्मा कोर्ट के अंदर मौजूद थे। इस दौरान सभी आरोपी और उनके वकील जेल में ही मौजूद थे। केस के सह आरोपी शिवा, शिल्पी और शरतचंद्र भी जेल कोर्ट में लाए गए थे। आसाराम के वकील ने दावा किया था कि आसाराम बरी हो जाएंगे। वहीं, आसाराम के समर्थकों में बेचैनी बढ़ती गई। आसाराम के लिए अहमदाबाद, सूरत से लेकर वाराणसी और भोपाल तक में प्रार्थना सभा आयोजित की गई। इस दौरान कई भक्त रोते भी नज़र आए।
रेप के आरोपी आसाराम के पास न भक्तों की कमी है और न ही पैसे की। आसाराम ट्रस्ट से जुड़े लोगों का दावा है कि उनके विश्वभर में करीब दो करोड़ भक्त हैं। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में आसाराम के भक्तों की तादाद ज्यादा हैं। एक समय में उनके भक्तों में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान समय में केंद्रीय मंत्री उमा भारती और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत भी शामिल थे।
आसाराम पर जोधपुर के पास मनई गांव के आश्रम में नाबालिग बच्ची के यौन उत्पीड़न का आरोप है। जिस वक्त नाबालिग बच्ची के साथ यौन शोषण हुआ, वो आसाराम के आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रही थी। आसाराम 31 अगस्त 2013 से जेल में हैं। इस मामले की कोर्ट में चार साल पांच महीने तक सुनवाई चली। इस महीने सुनवाई पूरी हुई और जज साहब ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला आज यानी 25 अप्रैल के लिए सुरक्षित रख लिया था।
आसाराम पर जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ उनमें धारा 342 है, जिसमें गलत तरीके से बंधक बनाने के लिए एक साल तक कैद हो सकती है। धारा 376 में बलात्कार के लिए 7 से 10 साल तक कैद हो सकती है। धारा 506 में 2 साल की सजा मिल सकती है। धारा 509 के तहत महिलाओं से अभद्र बातचीत के आरोप में 1 साल की सजा और POCSO एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा मिल सकती है।
आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था। देश विभाजन के बाद वह अहमदाबाद चले आए। आसाराम ने मात्र कक्षा 3 तक पढ़ाई की है और शादी से 8 दिन पहले वह 15 साल की उम्र में घर छोड़कर एक आश्रम चले गए। उन्होंने वर्ष 1964 में संत श्री आसारामजी महाराज की उपाधि धारण की।