अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला: SC ने राजीव सक्सेना को इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति पर लगाई रोक
उच्चतम न्यायालय ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़े धनशोधन मामले में सरकारी गवाह राजीव सक्सेना को रक्त कैंसर तथा अन्य बीमारियों के इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़े धनशोधन मामले में सरकारी गवाह राजीव सक्सेना को रक्त कैंसर तथा अन्य बीमारियों के इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर राजीव सक्सेना को नोटिस जारी किया।
निदेशालय ने राजीव सक्सेना को 25 जून से 24 जुलाई तक संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और यूरोप जाने की अनुमति देने संबंधी उच्च न्यायालय के 10 जून के आदेश को चुनौती दे रखी है।सक्सेना दुबई की कंपनी ‘यूएचवाई सक्सेना’ और ‘मैट्रिक्स होल्डिंग्स’ का निदेशक है। 3600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड सौदा मामले में निदेशालय द्वारा दाखिल आरोप पत्र में उसे आरोपी बनाया गया है।
पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगाई और एम्स के निदेशक को सक्सेना की मानसिक तथा शारीरिक जांच करके तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत प्रवर्तन निदेशालय की अपील पर अब तीन सप्ताह बाद सुनवाई करेगा।
न्यायालय ने सक्सेना के वकील को यह निर्देश प्राप्त करने के लिये भी कहा कि क्या सक्सेना की बहन और रिश्तेदार रक्त कैंसर तथा अन्य रोगों के इलाज के लिए उसे बाहर जाने देने के लिए गारंटी के तौर पांच-पांच करोड़ रुपए की जमानत राशि जमा करने के लिए तैयार हैं। इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अन्य अपराधों से जुड़े कुछ नए तथ्य सामने आए हैं और सीबीआई सक्सेना के खिलाफ जल्द ही आधिकारिक तौर पर प्राथमिकी दर्ज करने जा रही है।
मेहता ने कहा कि सक्सेना भारत लौटेंगे या नहीं यह प्रश्न ही बेमानी है और नए तथ्यों के आलोक में उसे विदेश जाने की अनुमति देने वाले आदेश की विवेचना की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजीव सक्सेना को विदेश जाने की अनुमति देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका में एक पक्षकार बनने के लिये सीबीआई ने भी आवेदन दायर किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई एक प्राथमिकी के आधार पर स्वतंत्र जांच कर रही है। यह जांच प्रवर्तन निदेशालय की जांच से अलग है।
मेहता ने कहा कि सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने भी अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने निचली अदालत में स्पष्ट कहा था कि यदि सक्सेना को जमानत दी जाती है तो उसे जांच में शामिल होने का निर्देश दिया जाना चाहिए तथा उसे भारत से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
निदेशालय ने सक्सेना की याचिका पर पहले आपत्ति जताते हुए कहा था कि भारत में उसकी जड़ें नहीं हैं और अगर उसे विदेश जाने की अनुमति मिल गई तो हो सकता है कि वह वापस ही नहीं लौटे। इसने कहा कि सक्सेना की बीमारी का इलाज भारत में भी मौजूद है और सरकारी गवाह सिर्फ अपराध में अपनी भूमिका का ही खुलासा नहीं कर रहा है बल्कि भ्रष्टाचार के मामले में अन्य लोगों की संलिप्तता के बारे में भी बता रहा है।
उच्च न्यायालय ने सक्सेना को यह कहते हुए राहत दी कि उसे माफी देने और सरकारी गवाह बनाए जाने से पहले चिकित्सकीय आधार पर पहले ही जमानत दी जा चुकी है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि ईडी ने भी उसे मिली राहत पर आपत्ति नहीं जताई थी। इससे पहले, निचली अदालत ने भी सक्सेना को छह जून से पांच जुलाई तक एक महीने के लिये विदेश जाने की अनुमति दी थी।