सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिंदुत्व संगठनों की राममंदिर मुद्दे पर कानून लाने की मांग हुई तेज
भाजपा ने तो इस मुद्दे पर चुप्पी बनाये रखी लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि वे उस स्थान पर जल्द एक मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं जहां माना जाता है कि भगवान राम का जन्म हुआ था।
नयी दिल्ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राममंदिर निर्माण के लिए कानून लाने की मांग सहित राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी। संघ परिवार से जुड़े संगठनों एवं भाजपा के भीतर अयोध्या में राममंदिर के जल्द निर्माण को लेकर विभिन्न उपाय करने की मांग बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस ने इस विषय पर संयम रखने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने पर जोर दिया। संघ के प्रवक्ता अरुण कुमार ने कहा कि अदालत को जल्द एक फैसला देना चाहिए और यदि जरूरी हो तो सरकार को मंदिर के लिए जमीन देने में बाधाओं को दूर करने के लिए एक कानून बनाना चाहिए। विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने मोदी सरकार से संसद के शीतकालीन सत्र में इस विषय पर कानून बनाने का आग्रह किया।
भाजपा ने तो इस मुद्दे पर चुप्पी बनाये रखी लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि वे उस स्थान पर जल्द एक मंदिर निर्माण के पक्ष में हैं जहां माना जाता है कि भगवान राम का जन्म हुआ था। मुम्बई में कुमार ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट शीघ्र निर्णय करे, और अगर कुछ कठिनाई हो तो सरकार कानून बनाकर मन्दिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर करके श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे।’’ कुमार ने कहा कि संघ का मत है कि जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर शीघ्र बनना चाहिए तथा जन्म स्थान पर मन्दिर निर्माण के लिये भूमि मिलनी चाहिए।
मन्दिर बनने से देश में सद्भावना एवं एकात्मता का वातावरण का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिये केंद्र सरकार कानून लाए। उन्होंने कहा कि यह संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ऐसा कानून नहीं लाती है तो हिंदुत्व संगठन अपना आंदोलन तेज करेगा। संगठन ने राममंदिर निर्माण के लिए चर्चा के वास्ते अगले वर्ष 31 जनवरी को दो दिवसीय धर्म संसद आहूत किया है। इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भी शामिल होने की उम्मीद है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार की अदालत में पूर्ण आस्था है लेकिन देश में काफी लोग चाहते हैं कि मुद्दे पर सुनवायी जल्द पूरी हो। भाजपा नेता विनय कटियार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के दबाव में मुद्दे को विलंबित किया जा रहा है। इस आरोप से कांग्रेस ने इनकार किया। वहीं गिरिरिज ने कहा कि हिंदुओं का धैर्य खत्म हो रहा है। वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में केंद्र सरकार को अध्यादेश लाने की चुनौती दे दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, '‘हर पांच साल में चुनाव से पहले भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश करती है। यह मुद्दा अब अदालत के सामने है। सबको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। इसमें किसी को कूदना नहीं चाहिए।’’
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस मामले में वोट बैंक की राजनीति नहीं करनी चाहिए और सभी को इंतजार करना चाहिए एवं अदालत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है और वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। हालांकि इसके टलने से अच्छा संदेश नहीं गया है। किन परिस्थितियों में तारीख आगे बढ़ाई गई है, इस पर वह कुछ नहीं कह सकते। इस मसले पर हर रोज सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो जाती तो अच्छा होता।
भाजपा की सहयोगी शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि यह श्रद्धा का विषय है और अदालत इस पर निर्णय नहीं कर सकती। सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सदस्य डी राजा ने कहा कि अध्योध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और भाजपा नेताओं की ओर से मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाने जैसे भड़काऊ बयान दिये जा रहे हैं। भाजपा नेताओं को भी यह मालूम है कि मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाना संभव नहीं है।
भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा ‘‘भाजपा के ‘अध्यादेश राज’ की भाकपा शुरु से ही विरोधी है। सत्तापक्ष को इस मामले में देश की शांति व्यवस्था भंग करने वाले बयान देने के बजाय अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिये।’’ उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी।