नई दिल्ली: 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान पकड़े गए और 54 साल बाद हाल ही में चीन भेजे चीनी सैनिक वांग छी ने अब भारत से सालों की ज्यादतियों के लिए मुवावजा माँगा है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में भारतीय दूतावास पहुँचे वांग छी ने भारतीय सेना द्वारा उन पर की गई कथित ज़्यादतियों के लिए मुआवजे की मांग की है। भारतीय दूतावास का कहना है कि वांग के ज्ञापन को वह सम्बंधित अधिकारियों को सौंप देंगे।
सूत्रों के अनुसार भारत में मध्य प्रदेश के माओवादी प्रभावित जिले में बिताए अपने पांच दशकों में परेशानी के लिए वांग ने पर्याप्त मुआवजा मांगा। उसने अपनी सेवानिवृत्ति लाभ के लिए चीनी सरकार को भी एक आवेदन दिया है। उसने दावा किया है कि जब उन्हें 3 जनवरी 1963 को भारतीय सेना ने गिरफ्तार किया था तब वह एक यांत्रिक सर्वेक्षण अभियंता थे।
बता दें कि राज बहादुर नाम से जाने जाने वाले वांग छि को 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरान भारतीय रेड क्रॉस ने पकड़ा था और भारतीय सेना के हवाले कर दिया था। वो कई साल से भारत की जेल में रहे और फिर मध्य प्रदेश के बालाघाट में उनका पुनर्वास किया गया। वांग छि 2014 से भारत और चीन सरकार से अपने देश वापस जाकर भाई-बहनों से मिलने की अनुमति मांग रहे थे। वांग छि के तीन भाई और दो बहनें हैं, जो चीन में ही रहते हैं।
गौरतलब है कि चीन ने अपने इस सैनिक के वतन वापसी में मदद के लिए भारत की सराहना की थी जो 1962 के युद्ध के बाद भारतीय सीमा में चला गया था और 50 साल से अधिक समय से वहीं रह रहा था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने भारत को धन्यवाद करते हुए कहा था कि वांग चीन लौट आए और अपने परिवार से मिल गए। उन्होंने कहा कि हम इसको लेकर भारत के संबंधित विभाग के सहयोग की सराहना करते हैं।
वांग जब चीन के शांग्जी राज्य की राजधानी जियान में स्थित अपने घर पहुंचे थे तो उनके पारिवारिक सदस्यों और अधिकारियों द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया था। उनके साथ उनके बेटे विष्णु वांग, बहू नेहा और पोती कनक वांग थीं।
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