पाकिस्तान से 26 वर्ष बाद फिर ‘रेगिस्तानी टिड्डियों’ का हमला, किसानों की फसलों को भारी नुकसान
आरएलपी के हनुमान बेनीवाल द्वारा किए गए एक सवाल के संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया था कि पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों से मुख्य रूप से राजस्थान के जैसलमेर जिले में 21 मई 2019 के बाद से निम्न एवं मध्यम सघनता में रेगिस्तानी टिड्डियों का आक्रमण हो रहा है।
नयी दिल्ली: पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान के जैसलमेर-बाड़मेर इलाके में 26 साल बाद एक बार फिर 'घुसपैठिए' के रूप में ‘रेगिस्तानी टिड्डियों’ का बड़ा समूह दाखिल हो गया है। वर्ष 1993 में पाकिस्तान से आयी टिड्डियों ने भारतीय क्षेत्र में किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया था। हालांकि इस बार सरकार का दावा है कि इन रेगिस्तानी टिड्डियों से फसल के नुकसान का कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तान की तरफ से रेगिस्तानी टिड्डियों के हमले का विषय लोकसभा में भी उठ चुका है। आरएलपी के हनुमान बेनीवाल द्वारा किए गए एक सवाल के संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया था कि पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों से मुख्य रूप से राजस्थान के जैसलमेर जिले में 21 मई 2019 के बाद से निम्न एवं मध्यम सघनता में रेगिस्तानी टिड्डियों का आक्रमण हो रहा है। राजस्थान के बाड़मेर और जालौर जिलों और गुजरात के बनासकंठा जिलों में भी इनकी मौजूदगी देखी गई है। उन्होंने बताया कि अब तक रेगिस्तानी टिड्डियों से फसल के नुकसान का कोई साक्ष्य नहीं है। न तो रेगिस्तानी टिड्डी नियंत्रण टीमों ने और न ही किसी राज्य के कृषि कर्मियों ने फसलों के नुकसान की कोई खबर दी है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने हर तरह की सतर्कता का भरोसा दिया है। प्रदेश का कृषि विभाग मुस्तैद दिख रहा है। कृषि विभाग का कहना है कि उसने अभी तक 3 हजार 288 हैक्टेयर क्षेत्र में टिड्डियों को बेअसर किया है। कृषि विभाग के टिड्डी नियन्त्रण दल की अब तक की कार्रवाई के बाद भी पश्चिमी राजस्थान पूरी तरह इस खतरे से मुक्त नहीं हुआ है। समझा जाता है कि इस विषय पर पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के टिड्डी नियन्त्रण दल की एक बैठक भी हुई है।
गौरतलब है कि भारत में थार के रेगिस्तान में वर्ष 1993 के पश्चात रेगिस्तानी टिडि्डयों का यह सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। उस समय टिडि्डयों के बड़े समूहों पर कीटनाशक का छिड़काव करवा कर इन्हें नियंत्रित किया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार, टिडि्डयों के समूह बड़ी संख्या में अफ्रीका में पैदा होते हैं। इसके बाद ये अपने भोजन की तलाश में निकल पड़ते हैं। नमी वाले क्षेत्रों में ये अंडे देते हैं और इनसे बहुत तेजी के साथ टिड्डे निकलते हैं। इस तरह इनकी संख्या लगातार बढ़ती जाती है। टिड्डी समूह फसलों पर हमला करता है और देखते ही देखते पूरी फसल को नष्ट कर देता है।
कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 3 जुलाई 2019 तक कुल 8041 हेक्टेयर में कीटनाशक (जैसलमेर- 7354 हेक्टेयर, बाड़मेर 447 हेक्टेयर, जालौर 100 हेक्टेयर और बनासकांठा 140 हेक्टेयर) का छिड़काव करके संक्रमण से बचाव के लिये उपचार किया गया। इसके अलावा नियंत्रण और सर्वेक्षण कार्यो में सहायता के लिये विभिन्न सर्किल कार्यालयों में पादक संरक्षण और भंडारण निदेशालय के 40 तकनीकी अधिकारियों/कर्मचारियों को तैनात किया गया है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी संक्रमित क्षेत्र में शिविर लगाकर नियंत्रण कार्यो की निगरानी कर रहे हैं।
राजस्थान कृषि विभाग ने 77 कर्मचारियों को नियुक्त किया है जिसमें टिड्डी नियंत्रण कार्यो में सहायता के लिये जैसलमेर जिलों के विभिन्न कार्यालयों में कृषि पर्यवेक्षक, कृषि अधिकारी और सहायक कृषि अधिकारी शामिल हैं । टिड्डी नियंत्रण और अनुसंधान के अंतर्गत कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, सूरतगढ़, चूरू, नागौर, फलौदी, जालौर और गुजरात के पालनपुर तथा भुज में 10 टिड्डी सर्कल कार्यालय स्थापित किये हैं ।