नई दिल्ली: भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए वहां से अपने लोगों को वापस लाना शुरू कर दिया है। लोगों को हवाई मार्ग के जरिए लाया जा रहा है। 'मिशन एयरलिफ्ट' की शुरुआत 15 अगस्त को हुई थी। 15 अगस्त को भारतीय वायुसेना के दो ग्लोब मास्टर विमानों ने हिंडन एयरबेस से उड़ान भरने के बाद तय समय पर काबुल पहुंच गए। काबुल पहुंचने के बाद सबसे पहले 50 भारतीयों को लेकर पहला ग्लोब मास्टर विमान ने करीब साढ़े चार बजे के भारत के लिए उड़ान भरी जबकि दूसरा ग्लोब मास्टर, जिसमें गरुड़ कमांडो थे, वह काबुल में ही रहा। इस विमान के पायलट ग्रुप कैप्टन राहुल थे।
सिक्योरिटी एक्सचेंज के तौर पर US सिक्योरिटी गार्ड, जो साउथ वेस्टर्न और ईस्टर्न ग्रिड की सुरक्षा कर रहे थे उन्होंने अपना पूरा प्लान इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो के साथ शेयर किया। भारतीय वायुसेना के ग्लोब मास्टर का अंदरूनी बेड़ा गरुड़ कमांडोज ने अपने पूरे आधुनिक हथियारों के साथ तैयार कर लिया ताकि कहीं से भी कोई भी तालिबानी हमला न कर सके। वहीं, बाहरी घेरे में US सिक्योरिटी गार्ड थे। शाम के वक़्त लोगों की तादाद बढ़ने लगी। रात होते-होते वेस्टर्न साइट का एयरपोर्ट का गेट तोड़कर लोग अंदर घुसने लगे।
भारतीय वायुसेना के एयर वॉरियर्स ने देखा कि चारों तरफ करीब 1500 की तादाद में लोग गेट के अंदर घुस रहे हैं और फिर उसके बाद वो गेट को तोड़ के अंदर की तरफ़ आने लग गए। तुरंत इसकी जानकारी एम्बेसी में तैनात एयर टैक्सी ग्रुप कैप्टन संदीप को दी गई। यह तय हुआ कि 16 तारीख की रात करीब एक बजे भारतीय वायुसेना का ग्लोब मास्टर उड़ान भर के ताजिकिस्तान जाएगा और ठीक रात 1 बजे विमान ने उड़ान भरी। जब तक वायुसेना का ब्लॉग मास्टर काबुल में रहा उसकी पूरी सुरक्षा गरुड़ कमांडो ने की।
इसके बाद मंगलवार सुबह साढ़े 4 बजे क्लेयरेंस के बाद एक बार फिर से भारतीय वायुसेना का ग्लोब मास्टर काबुल पहुंचा। ठीक 5 बजे तक एंबेसी के सभी लोग काबुल एयरपोर्ट पर पहुंच गये थे। करीब 150 लोग प्लेन मे आए। वहां के टाइम के मुताबिक, ठीक साढ़े छह बजे फ़्लाइट टेक ऑफ़ हुई और फिर गुजरात के जामनगर पहुंची और उसके बाद वहां से उड़ान भरकर सीधा गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंची।
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