नई दिल्ली: मशहूर लेखिका उर्वशी बुटालिया का मानना है कि भारतीयों को अभी भी नारीवाद की अवधारणा समझना बाकी है और महिला दिवस मनाना अथवा महिला सशक्तिकरण के लिए विज्ञापन बनाना केवल जुबानी बातें हैं।
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उर्वशी ने महिलाओं पर आधारित एक कार्यक्रम को यहां संबोधित करते हुए कहा, हमने अभी नारीवाद को समझा नहीं है.. हमने (महिला दिवस की अवधारणा) इसे सड़कों पर निकलते देखा है, जहां महिलाएं कॉर्पोरेट क्षेत्र, विज्ञापन के क्षेत्र, सरकारी क्षेत्रों में अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहीं होंगी। मेरा मानना है कि वह सब जुबानी बातें हैं, लेकिन यह किसी बदलाव की शुरआत भी है। उर्वशी नारीवादी प्रकाशन जुबान की संस्थापक भी हैं।
श्री अरविंदो सेंटर फॉर आट्स एंड कम्यूनिकेशन में आयोजित दो दिवसीय इस कार्यक्रम में बुटालिया के साथ ही न्यूज आउटलेट क्विंट की सह संस्थापक रितु कपूर, लेखिका अपर्णा जैन और स्टैंड अप कमेडियन राधिका वाज जैसी प्रख्यात लेखक और प्रकाशक मौजूद थीं जिन्होंने कामकाजी महिला के पहलुओं पर चर्चा की।
कार्यक्रम में मौजूद सिटी साउथ एशिया बैंक के मुख्य मानवसंसाधन अधिकारी आनुरंजिता कुमार ने कहा कि महिलाओं को सहययोग देने वाली नीतियां तो मौजूद हैं लेकिन जरूरत इस बात की निगरानी की जरूरत है कि इन नीतियों का पालन हो रहा है कि नहीं। इस कार्यक्रम में अनेक सत्र थे जिनको अनेक दिग्गजों ने संबोधित किया।
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