मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल से सीबीआई को मिली मंजूरी को आज खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि सीबीआई ने मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगते वक्त दावा किया था कि उसके पास चव्हाण के खिलाफ नए सबूत हैं, लेकिन वह ‘‘कोई नया सबूत पेश करने में असफल रही।’’ पीठ ने कहा कि सीबीआई ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव के समक्ष जो सामग्री पेश की है, उसे चव्हाण के खिलाफ नए प्रामाणिक सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता।
अदालत ने कहा, ‘‘स्वीकृति प्राधिकार एक स्वतंत्र इकाई है जो कि किसी की राय से खुद को प्रभावित नहीं होने दे सकती ।’’ पीठ आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाने के लिए फरवरी 2016 को राज्यपाल से मिली मंजूरी को चुनौती देने वाली चव्हाण की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। चव्हाण ने राव के आदेश को चुनौती देते हुए इसे ‘‘ मनमाना, अवैध और औचित्यहीन’’ करार दिया था तथा कहा था कि यह ‘‘दुर्भावनापूर्ण इरादे’’ से पारित किया गया है।
आदर्श सोसायटी घोटाला मामले का घटनाक्रम
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला कांड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण से जुड़ा घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है..
नवंबर 2010 : आदर्श घोटाला सामने आया। सीबीआई जांच शुरू।
29 जनवरी, 2011: सीबीआई ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण सहित 14 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया।
चार जुलाई, 2012: सीबीआई ने इस मामले में पहला आरोपपत्र सीबीआई की विशेष अदालत में दायर किया।
दिसंबर 2013: महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार किया।
जनवरी 2014: सत्र अदालत ने सीबीआई के अनुरोध पर बतौर आरोपी अशोक चव्हाण का नाम मुकदमे से हटाने से इनकार किया।
मार्च 2015: बंबई उच्च न्यायालय ने मुकदमे से नाम हटाने का अनुरोध करने वाली अशोक चव्हाण की याचिका को खारिज किया।
अक्तूबर 2015: सीबीआई ने चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने के वास्ते महाराष्ट्र के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव को और सबूत सौंपे।
फरवरी 2016: राज्यपाल राव ने अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई को दी। राज्यपाल के आदेश के खिलाफ चव्हाण उच्च न्यायालय पहुंचे।
22 दिसंबर, 2017: उच्च न्यायालय ने चव्हाण की याचिका स्वीकार की। उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल के आदेश को खारिज किया।
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