.... तो आखिर आरुषि और हेमराज को किसने मारा?
अनुमान और आकलन के आधार पर सीबीआई की अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले में ऐसे कई अनसुलझे सवाल थे जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता था लेकिन जवाब ना पुलिस दे पा रही थी, ना सीबीआई। देखते ही देखते ये घटना सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन गई। अब तक इस मामले में पता
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री आरुषि मर्डर कांड के 9 साल 4 महीने और 26 दिन के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को पलटते हुए आरुषि के पिता राजेश तलवार और मां नूपुर तलवार को बरी कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए दोषी मानने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट का फैसला सुनकर राजेश और नूपुर तलवार रो पड़े और एक दूसरे को गले लगाया लिया। HC ने निचली अदालत के फैसले में खामियां बताते हुए सभी 26 वजहों को खारिज कर दिया। सीबीआई की अदालत ने राजेश और नुपुर तलवार को आरूषि-हेमराज मर्डर केस में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। ये भी पढ़ें: राम रहीम की लाडली हनीप्रीत की करतूतों से हटा पर्दा, सहेली ने खोल दिए सारे राज़
हाईकोर्ट के फैसले से बेशक तलवार दंपति की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया हो लेकिन आरुषि को न्याय मिलने की उम्मीद एक बार फिर अधूरी रह गई। हाईकोर्ट के फैसले से एक बार फिर वही सवाल सामने खड़ा हो गया है जिसका जवाब नौ साल से पूरा देश मांग रहा है.... आखिर कातिल कौन है? आखिर 14 साल की आरुषि की बंद घर में हत्या किसने की और किसने चुपचाप आकर नौकर हेमराज का कत्ल करके शव छत पर फेंक दिया? बगल के कमरे में सो रहे मां बाप को भी पता नहीं चला।
अनुमान और आकलन के आधार पर सीबीआई की अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले में ऐसे कई अनसुलझे सवाल थे जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता था लेकिन जवाब ना पुलिस दे पा रही थी, ना सीबीआई। देखते ही देखते ये घटना सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन गई। अब तक इस मामले में पता ही नहीं चल पाया है कि.....
- हत्या के लिए इस्तेमाल हथियार कहां है?
- दीवार पर खूनी पंजे के निशान किसके थे?
- स्कॉच की बोतल पर किसके हाथ के निशान थे?
- सीढ़ियों पर खून के धब्बे किसके थे?
- आरुषि के खून से सने कपड़े कहां हैं?
- फिंगर प्रिंट के साथ छेड़छाड़ किसने की?
- हत्या की रात क्या बाहर से कोई आया था?
- हेमराज की लाश घर की छत पर कौन ले गया?
- और सबसे बड़ा सवाल कि आरुषि-हेमराज के कत्ल का मकसद क्या था?
सीबीआई ने लगभग तीन साल चली जांच में पूर्व नौकर कृष्णा, विष्णु और तलवार दंपति के नजदीकियों से पूछताछ की। तलवार दंपति का नार्को टेस्ट भी कराया गया। लेकिन ऐसा कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगा जो सीधे-सीधे किसी को कातिल ठहरा सके।
बाद में विशेष अदालत के समक्ष जांच रिपोर्ट पेश करते हुए सीबीआई ने यह माना कि तलवार दंपति के खिलाफ सीधे-सीधे इस मामले में कोई सबूत नहीं हैं लेकिन मौका-ए-वारदात की परिस्थिति और हालात यही गवाही देते हैं तलवार दंपति ने ऑनर किलिंग में अपनी बेटी की हत्या की है।
विशेष अदालत ने इस मामले में लचर जांच के लिए सीबीआई को फटकार तो लगाई लेकिन उसकी दलील मान ली। जिसके बाद तलवार दंपति को आरोपी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला पलट दिया, और सिर्फ परिस्थितियों के आधार पर किसी को हत्या का दोषी मानने से इंकार कर दिया। इस फैसले के बाद तलवार दंपति की जेल से रिहाई भी हो गई, लेकिन यह सवाल अधूरा रह गया कि आखिर मासूम आरुषि की हत्या किसने की?