पणजी: गोवा में करीब 80,000 प्रवासी मजूदरों ने अपने मूल स्थानों को लौटने के लिए राज्य सरकार के पास अपना पंजीकरण कराया है। उनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। सरकार ने यह आंकड़ा जारी किया है। लेकिन मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने उनसे यहीं टिके रहने की अपील की है क्योंकि राज्य को लॉकडाउन हटने के बाद आर्थिक गतिविधियों की बहाली के लिए मानवश्रम की जरूरत होगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रमोद सावंत सरकार ने उत्तर और दक्षिणी गोवा जिलों, नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायत कार्यालयों में काउंटर लगाये हैं जहां प्रवासी मजदूर घर जाने के लिए अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। राज्य सरकार के आंकड़े के अनुसार सोमवार तक 80,000 प्रवासी मजदूरों ने इन कार्यालयों में अपना पंजीकरण कराया। सावंत ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘गोवा को मानवश्रम की जरुरत होगी। मैं उनसे अपने राज्यों को नहीं लौटने की अपील करता हूं। वे यहां रूक सकते हैं क्योंकि गोवा कोविड-19 संक्रमण से सुरक्षित है।’’
केंद्र द्वारा गोवा को ग्रीन जोन में डालने का निर्णय लेने के बाद प्रमोद सावंत सरकार ने राज्य में आर्थिक गतिविधियों की बहाली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां एक दूसरे से दूरी, मास्क लगाने और श्रमिकों की कम संख्या के साथ बहाल हो गई हैं । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के चले जाने का निर्माण, मात्स्यकी,औद्योगिक इकाइयों एवं अन्य गतिविधियों पर असर पड़ेगा लेकिन यह एक अपरिहार्य स्थिति है। उन्होंने कहा, ‘‘ वे यहां ठहरना नहीं चाहते हैं। यही सही वक्त है जब सरकार यह तय करे कि राज्य में हमें कितने श्रमबल की जरूरत होगी।’’
हालांकि स्थानीय श्रमिक नेता पुति गांवकर ने कहा, ‘‘गोवा में पर्याप्त संख्या में युवा हैं जो विभिन्न कार्य कर सकते हैं। मैं नहीं समझता कि यदि प्रवासी मजदूर राज्य से चले जाएंगे तो खास असर पड़ेगा।’’
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