लाल बहादुर शास्त्री जयंती: मौत के 52 साल बाद भी बरकरार है मौत का रहस्य
लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री ने दावा किया है कि ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उनके पिता की हत्या कर दी गई थी।
नई दिल्ली: भारत के लिए 2 अक्टूबर का दिन और भी खास बन जाता है जब महात्मा गांधी के साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन मनाया जाता है। आज 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री के 114वें जन्मदिन और संदिग्ध हालात में हुई मौत के 52 साल बाद भी उनकी मृत्यु पर सवाल खड़े होते हैं। नेतीजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़ी फाइलों के सार्वजनिक होने के बाद शास्त्रीजी की मौत से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग के मुद्दे ने एक बार फिर तूल पकड़ा है।
लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री ने दावा किया है कि ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उनके पिता की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने मांग की है कि घटना की गहन जांच कराई जाए और घटना से संबंधित सभी फाइलें सार्वजनिक की जाएं। 52 साल बाद आज भी लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में मौत ऐसा ही एक रहस्य है।
11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री की तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान से ताशकन्द समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उसी रात रहस्यमय परिस्थितियों में शास्त्रीजी की मृत्यु हो गई। इस मामले में वहां उनकी सेवा में लगाए गए एक बावर्ची को हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया।
शास्त्रीजी का अंतिम संस्कार शान्तिवन (नेहरू जी की समाधि) के आगे यमुना किनारे की गयी और उस स्थल को विजय घाट नाम दिया गया। जब तक कांग्रेस संसदीय दल ने इन्दिरा गांधी को शास्त्री का विधिवत उत्तराधिकारी नहीं चुन लिया, गुलजारी लाल नन्दा कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे।
शास्त्रीजी के दोनों बेटे कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि ‘मेरी मां (ललिता) को शुरू से ही संदेह था कि उनका (शास्त्री जी का) निधन स्वाभाविक नहीं है। इस मामले में जांच में काफी विलंब हो चुका है, लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जा सकता है। सच तो बाहर आना ही चाहिए।’
हार्ट अटैक या ज़हर से हुई शास्त्री जी की मौत?
शास्त्रीजी की मौत शुरू से ही सवालों के घेरे में रही हैं। कहा जाता है कि उन्हें हार्ट अटैक हुआ था, लेकिन उनके पर्सनल डॉक्टर डा. आर.एन. चुघ के अनुसार उन्हें कभी हृदय रोग की समस्या ही नहीं थी। उनके पार्थिव शरीर का दर्शन करने वालों और उनके परिजनों के अनुसार उनका सारा शरीर नीला पड़ा था, मतलब उन्हें जहर देकर मारा गया था। उनकी पत्नी और दोनों बेटों अनिल और सुनील शास्त्री ने लाल बहादुर शास्त्री की मौत से पर्दा उठाने की मांग की है। सरकार गोपनीयता एवं विदेशी संबंधों का हवाला देकर इसे उजागर करने से इंकार कर रही है।
सबसे पहले 1978 में प्रकाशित एक हिन्दी पुस्तक 'ललिता के आँसू' में शास्त्रीजी की मृत्यु की करुण कथा को स्वाभाविक ढंग से उनकी धर्मपत्नी ललिता शास्त्री के माध्यम से कहलवाया गया था। उस समय ललिताजी जीवित थीं।
1964 में जब वह प्रधानमंत्री बने थे तब देश खाने की चीजें आयात करता था। उस वक्त देश PL-480 स्कीम के तहत नॉर्थ अमेरिका पर अनाज के लिए निर्भर था। 1965 में पाकिस्तान से जंग के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ा तब के हालात देखते हुए उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की। इन्हीं हालात से उन्होंने हमें 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया।