नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की कानूनी वैधता से जुड़ी चुनौतियों पर उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मंगलवार से सुनवाई करने वाली है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल हैं।
दरअसल, 28 अगस्त को इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला किया गया था। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर में किये गये संवैधानिक बदलावों के बाद पैदा हुए मुद्दों से संबद्ध अन्य याचिकाओं पर विचार करते हुए सोमवार को कहा कि इस तरह के सभी मामलों पर न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ अब निर्णय करेगी।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उसने घाटी में नाबालिगों की अवैध हिरासत के बारे में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति से एक रिपोर्ट प्राप्त की है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।
पीठ ने बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, ‘‘रिपोर्ट आ गई है। हम इस विषय को कश्मीर पीठ (न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ) को भेजेंगे। ’’ न्यायालय ने एक चिकित्सक द्वारा दायर एक अलग याचिका भी तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेज दी। चिकित्सक ने जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के चलते कश्मीर में मेडिकल सुविधाओं की कमी होने का दावा किया है।
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