नई दिल्ली: रेलवे के अधिकारियों के जरिए सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के जरिए मालगाड़ियों के डिब्बों में माल के वास्तविक लदान को कथित रूप से कम दिखाकर रेलवे में कम से कम चार हजार करोड़ रूपये के बड़े घोटाले की आशंका को भांपते हुए सीबीआई जल्द एक मामला दर्ज कर सकती है।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में रेलवे ने 1008 मिलियन मीट्रिक टन माल की ढुलाई की और इससे 85,262 करोड़ रूपये कमाए जो उस अवधि के लिए कुल राजस्व का 67 फीसदी बैठता है।
सूत्रों के मुताबिक राजस्व के लीकेज से होने वाले नुकसान को रोकने तथा डिब्बों में क्षमता से अधिक माल लादने से बचने के लिए माल को लदान वाले स्टेशन या रास्ते में या उसके गंतव्य पर पहुंच कर तौलने की जरूरत होती है।
सीबीआई में एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी सूचना मिली है कि इस व्यवस्था से कई स्थानों पर इस प्रकार से छेड़छाड़ की गई कि क्षमता से अधिक भार लदान छुप गया और डिब्बे का भार तय सीमा के भीतर नजर आया।
अधिकारी ने बताया कि इसमें सिस्टम के सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ कर अपराध के लिए बेहद आधुनिक तरीका अपनाए जाने का शक है। सूत्रों के मुताबिक ऐसी भी आशंका है कि रेलवे अधिकारियों, निजी वेंडरों और माल ढुलाई करने वाले ऑपरेटरों की मिलीभगत से यह कथित गड़बड़ी की गई।
सीबीआइ अधिकारी का कहना है कि वर्ष 2012-13 में हुई वास्तविक ढुलाई यदि पांच फीसद भी कम करके दिखाई गई है तो राजस्व का नुकसान 4,263 करोड़ रुपये बनता है। यह न सिर्फ बड़ा वित्तीय नुकसान है बल्कि इससे निजी फ्रेट ऑपरेटरों को भारी लाभ होता है और रेलवे ट्रैक खराब होने के साथ रेलवे की सुरक्षा भी बुरी तरह से प्रभावित होती है।
रेलवे ने शोध विकास एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के साथ मिलकर देशभर में विभिन्न स्थानों पर ले जाए जाने वाले सामान का वजन मापने के लिए 200 'इलेक्ट्रोनिक इन मोशन वे ब्रिजेज' स्थापित किए थे।
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