नई दिल्ली: करीब चार लाख लोग जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) संग्रहण में 95 फीसदी का योगदान कर रहे हैं, जबकि जीएसटी के तहत पंजीकृत 35 फीसदी लोग जो रिटर्न फाइल कर रहे हैं, वे कर नहीं देते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को यह बातें कही। यहां उद्योग मंडल फिक्की के 90वें आम सभा में एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने यह बातें कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या जीएसटी से छोटे व्यापारियों पर बोझ बढ़ा है?
उन्होंने कहा, "जीएसटी संग्रहण को लेकर किए गए अध्ययन के मुताबिक, नए कर शासन के तहत जितने लोग पंजीकृत हैं, उनमें से 4 लाख लोगों से 95 फीसदी कर प्राप्त होता है, जबकि 35 फीसदी लोग बहुत कम या बेहद मामूली कर का भुगतान करते हैं।"
उन्होंने स्वीकार किया कि रिटर्न अनुपालन का बोझ एक वाजिब समस्या है और जीएसटी परिषद इसकी जांच कर रही है। जेटली ने कहा कि 'संघीय संस्था' महज 3-4 महीनों में ही कई वस्तुओं पर दरों को तर्कसंगत बनाने में सफल रही है।
जेटली ने फिक्की की आम सभा को संबोधित करते हुए कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि हम अर्थव्यवस्था को अधिक औपचारिक बनाने की दिशा में संरचनात्मक परिवर्तन जारी रखें और वैश्विक कर दरों को देखते हुए जीएसटी को अधिक तर्कसंगत बनाएं।" जेटली ने इसके अलावा बुनियादी अवसंरचना के निर्माण की गति को जारी रखने और रेलवे क्षेत्र में निवेश को तेज रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
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