2जी स्पेक्ट्रम घोटाला LIVE: कांग्रेस के लोग ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट मिल गया हो: अरुण जेटली
जिस घोटाले से तत्कालीन मनमोहन सरकार हिल गई, जिस घोटाले के लिए कई दिनों तक संसद ठप रही, जिस घोटाले के लिये यूपीए सरकार को जेपीसी बनानी पड़ गई वो घोटाला अगर देश के काम आता तो देश की सूरत बदल गई होती।
नई दिल्ली: आज आज़ाद भारत के सबसे बड़े घोटाले 2जी घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। CBI कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पुर्व टेलिकॉम मंत्री ए राजा सहित डीएमके नेता कनिमोझी को इस घोटाले के आरोपों से मुक्त कर दिया है। आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने यूपीए सरकार के दौरान हुए पौने दो लाख करोड़ के टूजी घोटाले पर फैसला सुनाया। इस घोटाले में कैबिनेट मंत्री रहे ए राजा समेत 24 लोगों पर आरोप थे। ये घोटाला इतना बड़ा है कि इसे बयान करना मुश्किल हो जाता है। आज़ाद भारत के इस 17 खरब 60 अरब के घोटाले ने तत्कालीन यूपीए सरकार को हिला कर रख दिया था। घोटाले से जुड़े मामलों पर विशेष रूप से विचार कर रही अदालत ने राजा, कनिमोझी और अन्य सभी आरोपियों को फैसले के लिए आज हाजिर रहने का निर्देश दिया था।
2010 में सीएजी की रिपोर्ट के बाद सामने आय़े इस घोटाले में तत्कालीन मनमोहन सरकार के मंत्री ए राजा, तत्कालीन यूपी सरकार को समर्थन दे रहे डीएमके की राज्यसभा सांसद कनिमोझी, तत्कालीन टेलीकॉम सेक्रेट्री सिद्धार्थ बेहरुआ और ए राजा के मंत्री रहते उनके निजी सचिव रहे आर के चंदोलिया समेत 24 आरोपी हैं। ये मुकदमा दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है। सीबीआई और ईडी ने इस मामले में अलग-अलग केस दर्ज करवाए हैं। सीबीआई कोर्ट के विशेष जज ओ पी सैनी आज इन दोनों एजेंसियों के केस में फैसला सुनाएंगे।
- कांग्रेस के लोग ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट मिल गया हो: वित्त मंत्री
- 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार किया था और लाइसेंस रद्द किए थेः वित्त मंत्री
- कोर्ट के फैसले को सर्टिफिकेट न समझे कांग्रेस। इस पर एजेंसी ध्यान देगी। बिना नीलामी के लाइसेंस बांटे गए थेः वित्त मंत्री अरुण जेटली
- 2जी आवंटन में अनियमितता हुई थी। नीलामी के जरिए लाइसेंस नहीं दिए गए थेः वित्त मंत्री अरुण जेटली
हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हमें खुशी है कि यूपीए के खिलाफ किए गए प्रोपगैंडा को कोर्ट ने नकारा है: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
- 2 जी स्कैम में बरी किए गए सभी आरोपियों से 5 लाख का बेल बॉन्ड भराया गया है ताकि उच्च अदालत में मामला गया तो उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके
- अगर सरकार के पास पुख्ता सबूत हैं तो उन्हें मामले को हाई कोर्ट ले जाना चाहिएः अन्ना हजारे
- गुलाम नबी आजाद ने सदन में कहा कि इस 2जी घोटाले के आरोप की वजह से हम विपक्ष में पहुंच गए। वह 1 लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला कहां गया
- यह झूठा केस था। पिछले दो विधानसभा चुनावों से इस झूठे मामले का इस्तेमाल किया जाता था। अब यह गलत साबित हो गया हैः डीएमके
- विनोद राय को भी माफी मांगनी चाहिए। मैं कभी यू टर्न नहीं लेता। कोई घोटाला नहीं हुआ था और कोई नुकसान नहीं हुआ थाः कपिल सिब्बल
- कोर्ट का फैसला बताता है कि निर्दोष लोगों को फंसाया गया था। न्यायालय ने वही किया है जिसकी उम्मीद इस देश में की जाती हैः शशि थरूर
- यूपीए सरकार पर लगे बड़े घोटाले का आरोप झूठा था। आज यह साबित हो गया हैः पी चिदंबरम
- मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहूंगी जो मेरे साथ खड़े रहेः कनिमोझी
- सुप्रीम कोर्ट ने 122 लाइसेंस कैंसल किए थे और लोअर कोर्ट ने किया बरी
- जज ने कहा कि सीबीआई आरोप साबित करने में नाकाम रही है इसलिए सभी को बरी किया जाता हैः वकील
- जज ने केवल एक लाइन का फैसला पढ़ा, सभी आरोपियों को बरी किया गया
- आज़ाद भारत के सबसे बड़े घोटाले में पूर्व मंत्री ए राजा और कनिमोझी बरी
- ए राजा पर आरोप है कि उन्होंने 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी षडयंत्र पूर्वक की और 2008 में साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेचा
- थोड़ी देर में स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज ओपी सैनी फैसला सुनाएंगे। ए राजा और कनिमोझी के समर्थक भी कोर्ट पहुंच चुके हैं
- ए राजा और कनिमोझि के आलावा अन्य आरोपी भी पटियाला हाउस कोर्ट पहुंच रहे हैं
- 2011 में इस मामले में सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की थी
- पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचे
- पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचीं राज्य सभा सांसद और 2जी स्कैम की आरोपी कनिमोझी
अदालत में जो केस चल रहा है उसमें आरोप है कि मनमोहन सरकार में दूरसंचार मंत्री रहे ए राजा ने टेलीकॉम सेक्रेट्री सिद्धार्थ बेहरुआ और ए राजा के निजी सचिव आर के चंदोलिया के साथ मिलकर प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर्स को अरबों रुपये का फायदा पहुंचाया। 10 जनवरी, 2008 को टेलीकॉम विभाग ने लाइसेंस देने के लिए 'पहले आओ-पहले पाओ' की नीति अपनाई और इसके लिए कट-ऑफ की तारीख 25 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी गई। कट ऑफ की तारीख पब्लिक को नहीं बताई गई लेकिन उन लोगों को बता दी गई जिन्हें फायदा पहुंचाना था ताकि वो अपने दस्तावेज़ तैयार कर सकें और दस्तावेज़ मिलते ही लाइसेंस जारी कर दिए गये।
2जी घोटाले में क्या हुआ?
- मई 2007 में ए. राजा यूपीए सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर बने
- अगस्त 2007 में 2 जी स्पैक्ट्रम के लाइसेंस देने शुरू किए
- 2 नवंबर 2007 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने ए राजा को चिट्ठी लिखी
- मनमोहन सिंह ने आवंटन में पारदर्शिता बरतने और फीस रिव्यू करने के लिए कहा
- 22 नवंबर 2007 को वित्त मंत्रालय ने भी लाइसेंस प्रक्रिया पर सवाल उठाए
- 10 जनवरी, 2008 को 'पहले आओ- पहले पाओ' की नीति अपनाई
- लाइसेंस के लिए कट-ऑफ की तारीख 25 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी गई
- 4 मई, 2009 को एनजीओ ने सीवीसी से अनियमितता की शिकायत की
- 21 अक्टूबर, 2009 को CBI ने टेलीकॉम विभाग के अज्ञात अफसरों पर FIR किया
- 10 नवंबर, 2010 को CAG ने कहा 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ
- नवंबर 2010 में ए राजा ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया
- 17 फरवरी, 2011 को डी राजा को गिरफ्तार किया गया
- 14 मार्च, 2011 को दिल्ली हाई कोर्ट ने विशेष अदालत का गठन किया
- 2 अप्रैल, 2011 को सीबीआई ने 2G मामले में चार्जशीट दाखिल की
- 25 अप्रैल, 2011 को CBI ने दूसरी चार्जशीट दाखिल की
- CBI की दूसरी चार्जशीट में डीएमके नेता कनीमोझी का भी नाम शामिल था
- 11 नवंबर, 2011 को विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई
- 12 दिसंबर, 2011 को सीबीआई ने तीसरी चार्जशीट दाखिल की.
- 2 फरवरी, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 2जी लाइसेंस रद्द कर दिए
- 19 अप्रैल, 2017 को इस केस की सुनवाई खत्म हुई
आरोपियों के वकील अशोक अग्रवाल ने कहा, “कोर्ट ने बिना किसी छुट्टी के हर रोज़ सुनवाई की उसके बाद भी इसमें 6 साल लग गये और अब फैसला आने वाला है। हम इंसाफ की उम्मीद करते हैं। हमने बहुत मेहनत की है। पहले दिन से ही सीबीआई के पास कोई केस नहीं है और वो सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर लोगों को सज़ा दिलवाना चाहते हैं जो कुछ और बात कहती है। क्रिमिनल कानून की ज़रूरतें कुछ और हैं। अब देखिये क्या होता है लेकिन हम इंसाफ की उम्मीद करते हैं।“
कितना बड़ा है टूजी घोटाला?
पूरा देश उस वक्त चौंक गया जब सीएजी ने बताया कि टूजी घोटाला एक लाख 76 हज़ार करोड़ का है। शुरुआत में तो लोग अंदाज़ा भी नहीं लगा पाए कि आखिर ये रकम होती कितनी है। आज भी इसे लिखना और समझना मुश्किल है। जिस घोटाले से तत्कालीन मनमोहन सरकार हिल गई, जिस घोटाले के लिए कई दिनों तक संसद ठप रही, जिस घोटाले के लिये यूपीए सरकार को जेपीसी बनानी पड़ गई वो घोटाला अगर देश के काम आता तो देश की सूरत बदल गई होती।
-साल 2008, जिस साल ये घोटाला हुआ उस साल देश का रक्षा बजट 1 लाख 5 हज़ार 600 करोड़ रुपये का था, यानी घोटाले की रकम इस रक्षा बजट से करीब डेढ़गुनी थी
-2008 में देश का स्वास्थ्य बजट मात्र 16,534 करोड़ रुपये था, यानी घोटाले की रकम इससे दस गुना ज्यादा थी
-इसी तरह 2008 में शिक्षा का बजट 34,400 करोड़ रुपये था...यानी 2जी घोटाले की रकम से 6 सालों तक देश की शिक्षा का खर्चा चल सकता था और उसी साल 2008 में गावों के विकास के लिए 14,000 करोड का बजट रखा गया था
-अगर 2जी घोटाले की रकम का इस्तेमाल गांवों के विकास के लिए हुआ होता तो हिन्दुस्तान के गांवो की सूरत बदल जाती
देश ने इससे पहले इतना बड़ा घोटाला नहीं देखा था। 1 लाख 76 हज़ार करोड़ का ज़िक्र आने पर अर्थशास्त्रियों तक के कान खड़े हो गये। देश में ये भी पहली बार हुआ जब कोई कैबिनेट मंत्री घोटाले के लिए जेल गया। सीबीआई ने 2009 से केस की जांच शुरू की और नवंबर 2010 में ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा और चार महीने बाद ही फरवरी 2011 में उनको गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में कनिमोझी को भी जेल हुई। ए राजा और कनिमोझी समेत ज्यादातर आरोपी फिलहाल ज़मानत पर जेल से बाहर हैं जिनकी निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं।