26/11 हमले से मुंबई उभर तो गई लेकिन निशान अब भी हैं
26/11 के 10 साल बीतने के बाद भी उसे भुलाया नहीं जा सकता। भारत के इतिहास का वो काला पन्ना है।
26/11 को बीते 10 साल होने वाले हैं। साल 2008 के नवंबर महीने की 26 तारीख को पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई को खून से रंग दिया। उन्होंने दो लग्जरी होटल, एक यहूदी केंद्र, एक रेस्टोरेंट और भीड़ वाले एक रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया था। हथियारों से लेस आतंकियों ने 3 दिनों तक मुंबई का दहलाए रखा था। इस दौरान विदेशी पर्यटकों सहित 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए थे।
आतंकियों ने ताजमहल पैलेस होटल को अपना केंद्र बनाया हुआ था। इस दौरान होटल में स्टाफ समेत 30 लोगों को मार दिया गया था। होटल के शेफ रघु देवड़ा को आतंकियों ने पेट और पैर में गोली मारी थी। हालांकि, किसी तरह से होटल के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें वहां से बाहर निकाला। करीब 3 महीनों के इलाज के बाद देवड़ा ठीक हुए थे।
रघु देवड़ा ने बताया कि वो ताजमहल पैलेस होटल के निजी क्लब, द चैंबर्स की रसोई में थे, जब चार बंदूकधारियों ने हमला किया था। उन्होंने कहा कि "मुझे आतंकवादियों ने ढूंडकर बाहर निकाला। मैं, दो और मेहमानों के साथ था। हमें लाइन में खड़ा किया गया और शूट किया गया। देवड़ा ने हंसते हुए कहा था कि ‘मेरा परिवार आर्मी बैकग्राउंड का है लेकिन मेरे अलावा किसी को भी कभी गोली नहीं लगी।’
वैसे तो इन सब बातों को 10 साल हो गए हैं लेकिन इन्हें भूलना आज भी आसान नहीं है। 115 साल पुराने ताजमहल होटल में हमले के कुछ संकेत अभी भी जिंदा है। इसका विशाल इंटीरियर नष्ट हो गया था, जिसे दोबारा से डिजाइन किया गया है। यहां होटल की लॉबी में पीड़ितों की याद में एक स्मारक बनाया गया है। इसके अलावा एक झरना है जो जीवन को दर्शाने और हमले के पीड़ितों को समर्पित है।
टाटा समूह की सहायक कंपनी, इंडियन होटल्स कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ पुनीत छत्तीवाल कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि 10 साल उस घटना को भूलने के लिए पर्याप्त हैं। वो इतिहास का एक अंधेरा पल है जिसे भूला नहीं जा सकता है। ताज मुंबई सिर्फ एक होटल नहीं है। ये एक ऐतिहासिक स्थल है, जो स्वयं में एक स्मारक है। वो हमला सिर्फ ताज पर नहीं मुंबई पर हुआ था।