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Hindi News भारत राष्ट्रीय 2012 Delhi gang rape: इसलिए 3 बार टली निर्भया के आरोपियों की फांसी, जानिए कब क्या हुआ

2012 Delhi gang rape: इसलिए 3 बार टली निर्भया के आरोपियों की फांसी, जानिए कब क्या हुआ

तिहाड़ जेल के मेडिकल ऑफिसर ने तिहाड़ में जेल नंबर 3 में फांसीघर के बेसमेंट में निर्भया के चारों गुनाहगारों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह के शवों की जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।

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नई दिल्ली। 2012 का दिल्ली गैंगरेप मामले में निर्भया के चारों गुनाहगारों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को शुक्रवार सुबह फांसी दे दी गई। तिहाड़ जेल के मेडिकल ऑफिसर ने फांसीघर के बेसमेंट में चारों आरोपियों के शवों की जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।  तिहाड़ जेल से चारों आरोपियों के शव को DDU अस्पताल में शवों का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।। डॉ, बीएन मिश्रा की अगुवाई में 5 डॉक्टरों की टीम शवों का पोस्टमॉर्टम करेगी। साथ ही पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। पोस्टमॉर्टम के बाद चारों के शवों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

गौरतलब है कि कानूनी दांव-पेंच के सहारे निर्भया के गुनहगार तीन बार फांसी टलवाने में सफल रहे लेकिन अंतत: शुक्रवार 20 मार्च सुबह 5.30 बजे चारों आरोपियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। यूपी के मेरठ से आए पवन जल्लाद ने चारों आरोपियों को फांसी दी। आप भी जानिए 2012 निर्भया गैंगरेप केस में कैसे, कब और क्या-क्या हुआ। 

गौरतलब है कि 16-17 दिसंबर 2012 की रात को 23 साल की छात्रा से दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और लगभग 15 दिन बाद छात्रा की मौत हो गई थी। गैंगरेप करने वालों में एक नाबालिग भी शामिल था। गैंगरेप की घटना के बाद दिल्ली समेत पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन हुए। 

18 दिसंबर, 2012: दिल्ली पुलिस ने 4 दोषियों बस चालक राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया और बाद में 2 और भी गिरफ्तार कर लिया गया। छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद कथित रूप से तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं, किशोर को तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।

20 दिसंबर 2012: पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया।

21 दिसंबर 2012: नाबालिग आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। 

21-22 दिसंबर 2012: अक्षय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया।

26 दिसंबर 2012: दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को विमान से सिंगापुर के माउण्ट एलिजाबेथ अस्पताल में स्थानांतरित कराया।

29 दिसंबर, 2012: सिंगापुर में इलाज के दौरान पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई। पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्याओं से जूझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या की धाराएं जोड़ दीं। पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी। 

2 जनवरी 2013: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया।

3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।

5 जनवरी 2013: अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया।

7 जनवरी 2013: अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए।

17 जनवरी 2013: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की।

28 जनवरी 2013: किशोर न्याय बोर्ड (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है। 

2 फरवरी 2013: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।

28 फरवरी 2013: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।

11 मार्च 2013: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।

22 मार्च 2013: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को निचली अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी।

5 जुलाई 2013: किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया।

8 जुलाई 2013: त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की।

11 जुलाई 2013: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर लूटपाट करने का भी दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।

22 अगस्त 2013: त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के खिलाफ मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू हुई।

31 अगस्त 2013: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी। नाबालिग को 3 साल सुधार गृह में रहने के बाद रिहा कर दिया गया।

3 सितंबर 2013: त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया।

10 सितंबर 2013: अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके दोस्त की हत्या के प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।

13 सितंबर 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई। सजा की पुष्टि के लिए केस दिल्ली हाई कोर्ट को रेफर किया गया

23 सितंबर 2013: उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की।

13 मार्च 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी दोषियों की फांसी बरकरार रखी। दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई।

15 मार्च 2014: दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।

15 अप्रैल 2014: उच्चतम न्यायालय ने पुलिस से पीड़िता द्वारा मृत्यु पूर्व दिये गए बयान को पेश करने के लिए कहा।

20 दिसंबर 2015: नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया, जिसे लेकर देशभर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए।

3 अप्रैल 2016: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा पर रोक वाली याचिका पर सुनवाई शुरू की। 

27 मार्च 2016: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।

3 फरवरी 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई होगी।

27 मार्च 2017: उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

5 मई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने चारो दोषियों अक्षय, विनय, पवन और मुकेश की फांसी बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को 'सदमे की सुनामी' और 'दुर्लभ से दुर्लभतम' अपराध करार दिया।

9 नवंबर, 2017: एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया।

12 दिसंबर 2017: दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध किया।

15 दिसंबर 2017: अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

4 मई 2018: उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

9 जुलाई 2018: उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों पवन, मुकेश और विनय की पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटिशन) खारिज की।

8 नवंबर 2019: दोषी विनय शर्मा ने दया याचिका दाखिल की।

6 दिसंबर 2019: गृह मंत्रालय ने विनय की दया याचिका खारिज करने की सूचना दी। 

10 दिसंबर 2019: अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की।

13 दिसंबर 2019: निर्भया के माता-पिता ने दोषियों को जल्द फांसी देने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

17 दिसंबर 2019: तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे रिव्यू पिटिशन की सुनवाई से अलग हुए।

18 दिसंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन खारिज की।

19 दिसंबर 2019: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक दोषी की घटना के वक्त नाबालिग होने की याचिका को खारिज किया।

दिसंबर, 2019: करीब ढाई साल के बाद दोषी अक्षय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दायर की गई। 

दिसंबर, 2019: निर्भया की मां की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका के खिलाफ याचिका दायर की गई।

7 जनवरी, 2020: निर्भया के गुनहगारों के खिलाफ जारी किए गए पहले डेथ वारंट जारी कर 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का पटियाला हाउस कोर्ट ने आदेश सुनाया था।

14 जनवरी, 2020: मुकेश की ओर से राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगाई गई, जो खारिज हो गई। लेकिन दया याचिका की प्रक्रिया की वजह से फांसी को टाल दिया गया और 1 फरवरी, सुबह 6 बजे का नया वक्त तय हुआ।

30 जनवरी, 2020: एक-एक करके पवन, अक्षय और विनय की ओर से कानूनी दांव खेले गए, जिसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट को रद्द किया और 3 मार्च की तारीख तय की गई।

निर्भया केस में तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को जारी कर दोषियों को 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया था। लेकिन, 2 मार्च को यानी फांसी की तारीख से एक दिन पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी।

2 मार्च, 2020: पवन गुप्ता की तरफ से राष्ट्रपति के पास याचिका दी गई, जिसके बाद 3 मार्च की तारीख भी रद्द हो गई। फांसी की नई तारीख 20 मार्च तय हुई। 5 मार्च 2020 को निर्भया के चारों दोषियों का चौथा और अंतिम डेथ वॉरंट जारी किया गया। पटियाला हाउस कोर्ट ने 2012 दिल्ली गैंगरेप मामले में चौथी बार डेथ वारंट जारी करके 20 मार्च की तारीख तय की। 

19 मार्च, 2020: निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। वकील की तमाम कोशिशों के बाद रात 12 बजे हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

20 मार्च 2020: वकील एपी सिंह देर रात सुप्रीम कोर्ट गए। रात ढाई बजे से स्पेशल बेंच ने सुनवाई शुरू की। करीब एक घंटा सुनवाई चली और कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, जिससे सुबह 5.30 बजे फांसी का फाइनल डिसीजन हो गया और दोषियों को फांसी पर लटकाया गया।

तीन दोषियों की याचिका राष्ट्रपति कर चुके हैं खारिज

राष्ट्रपति अन्य तीन दोषियों मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं। इससे पहले मुकेश और विनय ने अपनी याचिकाओं को खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को उच्चतम न्यायालय में अलग-अलग चुनौती दी थी, जिन्हें शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। 

ये थे आरोपी

मुकेश सिंह : उम्र-37, पेशा- पार्ट टाइम बस ड्राइवर, क्लीनर, दक्षिण दिल्ली के रविदास कैंप का निवासी
अक्षय ठाकुर : उम्र- 27, पेशा- जिम ट्रेनर, रविदास कैंप का निवासी
विनय शर्मा : उम्र- 26, पेशा- फल विक्रेता, रविदास कैंप का निवासी
पवन गुप्ता : उम्र- 35, पेशा- बस क्लीनर, रविदास कैंप में रहता था।
राम सिंह : उम्र- 33, पेशा- बस ड्राइवर, रविदास कैंप में रहता था।

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