सबरीमला (केरल): पुडुचेरी की 12 साल की एक लड़की यहां भगवान अयप्पा मंदिर अपने पिता के साथ आई थी लेकिन मंगलवार सुबह उसे पम्बा से आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई। महिला पुलिसकर्मी ने लड़की का आधार कार्ड देखा और पाया कि वह 12 साल की है। इसके बाद पुलिसकर्मी ने लड़की को पम्बा से आगे जाने की इजाजत नहीं दी।
जब बच्ची के रिश्तेदारों को सबरीमला की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी गई तो उसके पिता और अन्य रिश्तेदार ही आगे बढ़े। मंदिर में प्रवेश की पारंपरिक तौर पर 10-50 साल की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। इस परंपरा का समर्थन करने वालों के पक्ष में कर्नाटक से मंदिर परिसर में नौ साल की एक बच्ची पहुंची। उसके गरदन में एक तख्ती लटकी थी जिस पर लिखा था, ‘‘इंतजार करने के लिए तैयार हूं। मैं 50 साल की होने के बाद मंदिर आऊंगी।’’
त्रिशूर की रहने वाली हृदयकृष्णन ने कहा कि वह तीन बार मंदिर आ चुकी है लेकिन अब भगवान अयप्पा का दर्शन तभी करेंगी जब वह 50 साल की हो जाएंगी। उनके पिता हरिकृष्णन ने कहा कि श्रद्धालु वे हैं जो परंपराओं एवं मान्यताओं की रक्षा करते हैं। पुलिस ने सोमवार को 10-50 साल उम्र के बीच की दो महिलाओं को मंदिर जाने से रोक दिया। वहीं शनिवार को मंदिर खुलने के बाद वर्जित उम्र वर्ग में होने के कारण दस महिलाओं को वापस भेज दिया गया।
उच्चतम न्यायालय ने भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने के अपने पिछले आदेश पर रोक नहीं लगाई है लेकिन राज्य सरकार सतर्कता बरत रही है। देवस्वओम मंत्री के. सुरेंद्रन स्पष्ट किया है कि सरकार प्रचार के लिए आने वाली महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी।
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