नई दिल्ली: मुंबई आतंकी हमलों के 10 साल बीत जाने के बावजूद इसकी यादें उनके जेहन में ताजा हैं जिन्होंने इसकी दहशत को अपनी आंखों के सामने देखा था, महसूस किया था। इंडिया टीवी के वरिष्ठ पत्रकार सौरव शर्मा ने इस घटना की कवरेज के लिए 60 घंटे आतंकी हमलों के साए में बिताए थे। सौरव ने दहशत के उन पलों को प्रत्युष रंजन (एडिटर-न्यूज, इंडिया टीवी डिजिटल) के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह पहले इसे गैंगवार समझा गया और किसी को भी ऐसा नहीं लगा था कि हमले इतनी देर तक जारी रहेंगे।
जब प्रत्युष ने सौरव से पूछा कि हमले की जानकारी मिलने के बाद उनसे इसकी रिपोर्टिंग करने के लिए कहा गया तो उनका रिऐक्शन क्या था, सौरव ने कहा कि उन्हें रिऐक्ट करने का मौका ही नहीं मिला। सौरव ने कहा, 'हमें रिऐक्ट करने का मौका इसलिए नहीं मिला क्योंकि जब यह खबर आई उस वक्त मैं न्यूज बुलेटिन में था। शुरुआती खबर आई थी कि मुंबई में गैंगवार हो गया है, लेकिन बाद में कई अन्य जगहों से खबरें आने लगीं और काफी देर बाद पता चला कि यह आतंकी हमला है।'
यह पूछे जाने पर कि घटनास्थल पर पहुंचने के बाद आतंक का सामना करते हुए सौरव के दिमाग में क्या चल रहा था, उन्होंने कहा, ‘मुझे कवरेज के लिए ताज होटल असाइन किया गया था। जब हमने एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी ली, तो ऐसा लगा कि जैसे शहर में अघोषित कर्फ्यू लगा हो। उस समय तक सबके पास सूचना पहुंच गई थी कि कई आतंकियों ने हमला बोल दिया है। मैंने फिर टैक्सी ड्राइवर से पूछा कि तुम काम क्यों कर रहे हो, तो उसने अपनी मजबूरी का हवाला देते हुए कहा कि वह काम करते हुए भी बहुत डरा हुआ है। उसके रिऐक्शन से मुझे अंदाजा हो गया कि आम मुंबईकर के दिल में क्या चल रहा होगा।’
इसके आगे क्या हुआ? सौरव ने दहशत के उन 60 घंटों में खुद को कैसे संभाले रखा? एक धमाके के बाद सौरव चौंक क्यों गए थे? जानने के लिए देखिए पूरा इंटरव्यू।
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