2002 के अक्टूबर महीने में भटकल ने मौलाना शीष का व्याख्यान सुना था। इस व्याख्यान से प्रभावित भटकल ने उनसे निजी तौर पर मुलाकात की। इस निजी मुलाकात ने भटकल को कट्टरपंथी विचारों का हिमायती बना दिया तथा भारत और उसके निवासियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए प्रेरित कर दिया।
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