नयी दिल्ली: ट्रेनों के देर से चलने को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा फटकार लगाये जाने के कुछ दिनों बाद उत्तर रेलवे ने आज स्पष्ट किया कि रेलवे जोन में बड़े पैमाने पर कार्य जारी रहने के बावजूद गत वर्ष की तुलना में ट्रेनों की समय की पाबंदी में मात्र 10 प्रतिशत की गिरावट है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आठ जून 2017 की स्थिति के अनुसार जोन में समय की पाबंदी 63 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि आठ जून 2018 को यह गिरकर 53 प्रतिशत हो गयी थी।
उन्होंने कहा , ‘‘ ट्रेनों की समय की पाबंदी अब ‘‘ डेटा लॉगर ’’ द्वारा दर्ज की जा रही है जबकि पहले यह हाथ से की जाती थी। अब यदि ट्रेन एक मिनट भी देर से पहुंचती है तो उसे विलंब से आने के तौर पर दर्ज किया जाता है। इससे इस वर्ष समय की पाबंदी आंकडों में बड़ा अंतर आया है। वहीं काफी कार्य जारी रहने के बावजूद समय की पाबंदी दर में मात्र दस प्रतिशत की गिरावट आयी है। ’’
चौबे ने कहा कि जोन में ट्रेनों की संख्या 2008 में जहां 1300 थी , वह 2018 में बढ़कर 1800 हो गई , हालांकि आधारभूत ढांचा उतनी गति से नहीं बढ़ा। उन्होंने कहा , ‘‘ इसलिए क्षमता में बढ़ोतरी जरूरी है। यार्ड में इतनी ट्रेनों को संभालने की क्षमता नहीं है। ’’
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