नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों से पहले, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से गलत सूचना का प्रसार तेजी से हुआ है, एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछले 30 दिनों में दो में से एक यूजर को फर्जी खबर मिली है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों का सर्कुलेशन बेहद चिंता की बात है। हाल ही में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी भी दी है कि मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्लेटफार्मों के किसी भी दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सोशल मीडिया मैटर्स एंड इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसीज़ एंड पॉलिटिक्स (IGPP) के सर्वेक्षण के अनुसार, 53 प्रतिशत से अधिक यूजर्स ने "आगामी चुनावों के कारण" विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर नकली समाचार प्राप्त करने का दावा किया है। यह दावा किया गया है कि फेसबुक और व्हाट्सएप ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जिनका उपयोग उपयोगकर्ताओं को गलत सूचना देने के लिए किया जा रहा है। पिछले 30 दिनों में दो में से एक भारतीयों ने फर्जी समाचार प्राप्त करने पर सहमति व्यक्त की है। दिलचस्प बात यह है कि लगभग 41 प्रतिशत यूजर्स ने कहा कि उन्होंने एक समाचार को गूगल, फेसबुक और ट्विटर पर खोज कर प्रमाणित करने का प्रयास किया।
भारत में चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होंगे और 23 मई को होने वाली मतगणना के साथ 19 मई तक जारी रहेंगे। सर्वेक्षण में कहा गया है कि चूंकि लगभग आधे-अरब मतदाताओं की इंटरनेट तक पहुंच है, इसलिए नकली समाचारों का चुनावों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "चुनावी मौसम के दौरान, नकली समाचारों का तेजी से प्रसार होता है और अंतत: मतदाताओं के निर्णय को प्रभावित करता है।"
सर्वेक्षण में आगे दावा किया गया कि 62 प्रतिशत यूजर्स ने महसूस किया कि उपयोगकर्ताओं द्वारा प्राप्त गलत सूचना से चुनाव "प्रभावित" होंगे। जिस आयु समूह ने बातचीत का नेतृत्व किया है, वह जनसंख्या का 54 प्रतिशत है और 18-25 वर्ष की आयु के बीच है। सर्वेक्षण में 56 प्रतिशत पुरुषों, 43 प्रतिशत महिलाओं और 1 प्रतिशत ट्रांसजेंडरों द्वारा लिया गया है। इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष देश भर के 628 मतदाताओं के नमूने के आकार पर आधारित हैं।
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