बच्चों को होने वाली गंभीर बीमारी 'मस्कुलर डिस्ट्रॉफी' से मिलेगी निजात, स्वामी रामदेव से जानिए इसकी कंप्लीट थेरेपी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में 80 तरह की बीमारियां हैं, लेकिन इनमें सबसे घातक है, DMD यानि ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी।
महाभारत में अभिमन्यु के चक्रव्यूह में फंसने की कहानी तो आपने जरूर सुनी होगी। चक्रव्यूह में कैसे अभिमन्यु बड़े-बड़े योद्धाओं की चाल में फंसते चले जाते हैं और फिर निकल ही नहीं पाते। ऐसे ही चक्रव्यूह वाली बीमारी भी है- मांसपेशियों से जुड़ी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी। नाम जितना मुश्किल सा है, बीमारी भी उतनी ही खतरनाक और उतनी ही घातक है, जो छोटे बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है। सबसे पहले हिप मसल्स कमजोर करती है। फिर पैरों की पिंडलियां यानि काफ मसल्स को कमजोर करने लगती है। और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हाथ-कमर के मसल्स डैमेज होने लगते हैं।
करीब 9 साल की उम्र के बाद लंग्स और हार्ट के मसल्स भी कमजोर होने लगते हैं और हार्ट फेल होने तक की नौबत आ जाती है। अगर वक्त रहते इस बीमारी को पहचान लिया जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। ये एक तरह की जेनेटिक डिजीज है। 3 साल की उम्र में इसके लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते है। जब बच्चा अचानक उठने में लड़खड़ाए, बार-बार गिर जाए, एड़ी उठाकर चले तो आप होशियार हो जाइये। कई बार थोड़ी बड़ी उम्र में भी इसके लक्षण दिखाई देते हैं।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में 80 तरह की बीमारियां हैं, लेकिन इनमें सबसे घातक है, DMD यानि ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी। आपको ये भी जानकर हैरानी होगी कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से सिर्फ लड़के प्रभावित होते हैं। ये मेल्स को ज्यादा होती हैं, जबकि लड़कियां डैमेज जीन्स कैरियर होती हैं। यानि लड़कियों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी होने के बाद भी लक्षण नज़र नहीं आते। उनसे उनके बच्चों तक ये बीमारी ट्रांसफर हो जाती है।
जिन बच्चों को ये बीमारी होती है, उनके माता-पिता का जीवन बेहद दर्दनाक होता है। अगर ये बीमारी आपके जीवन में आ जाए तो इससे कैसे निजात पाए, ये स्वामी रामदेव ने बताया है।
बीमारी का असर:
- हिप
- पिंडलियां
- हाथ
- कमर
- लंग्स
- हार्ट
क्या है लक्षण:
- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जेनेटिक बीमारी है।
- उठने में लड़खड़ाना।
- बार-बार गिरना।
- एड़ी उठाकर चलना
- जल्दी थकान होना।
योग से मसल्स को बनाएं मजबूत:
- शीर्षासन
- सर्वांगासन
- उत्तानपादासन
- शलभासन
- पवनमुक्तासन
- हलासन
- योग मुद्रासन
- पादहस्तासन
- यौगिक जॉगिंग
- सूर्य नमस्कार
शीर्षासन के फायदे:
- ब्रेन से जुड़ी बीमारियां ठीक होती हैं।
- बच्चों का दिमाग तेज होता है।
- आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- मेंटल पीस और मेमोरी पावर बढ़ती है।
- डायबिटीज कंट्रोल में रहती है।
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सर्वांगासन के फायदे:
- हाथ-कंधों की मसल्स मजबूत बनती है।
- बच्चों का कंसंट्रेशन बढ़ता है।
- मेमोरी तेज होती है।
- ब्रेन में एनर्जी का फ्लो बेहतर होता है।
- आंखों की रोशनी बढ़ाता है।
- इस आसन से चेहरे पर ग्लो आता है।
- लिवर को एक्टिव बनाता है।
- डायबिटीज कंट्रोल होती है।
मर्कटासन के फायदे:
- फेफड़ों के लिए अच्छा योगासन।
- पीठ का दर्द दूर हो जाता है।
- लिवर को मजबूत बनाता है।
- कमर का दर्द ठीक करता है।
शलभासन के फायदे:
- आपके फेफड़े सक्रिय होते हैं।
- अस्थमा रोग कंट्रोल होता है।
- वजन कम करने में मदद करता है।
- शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है।
- कमर दर्द दूर करता है।
पवनमुक्तासन के फायदे:
- पेट के रोगों को दूर करता है।
- ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है।
- अस्थमा, साइनस में फायदेमंद है।
- ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
- पेट की चर्बी को दूर करता है।
- कमर दर्द में आराम मिलता है।
ताड़ासन के फायदे:
- शरीर को लचीला बनाता है।
- पाचन को ठीक रखता है।
- थकान, तनाव और चिंता दूर करता है।
- बच्चों के शरीर में संतुलन बढ़ता है।
- बच्चों का कद बढ़ाता है।
- रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है।
पादहस्तासन के फायदे:
- अस्थमा की बीमारी में बहुत कारगर है।
- फेफड़ों को स्वस्थ बनाता है।
- सांस संबंधी दिक्कत दूर होती है।
- पेट की चर्बी कम होती है।
- डायजेशन ठीक होता है।
- सिर में रक्त संचार बढ़ता है।
सूक्ष्म व्यायाम के फायदे:
- हार्ट को मजबूत बनाता है।
- शरीर पूरा दिन चुस्त रहता है।
- शरीर में थकान नहीं होती है।
- ऊर्जा, स्फूर्ति का संचार होता है।
प्राणायाम से बनें सेहतमंद:
- अनुलोम विलोम
- कपालभाति
- भस्त्रिका
- भ्रामरी
- उज्जायी
- उद्गीथ
कपालभाति के फायदे:
- बॉडी में इंस्टेंट गर्मी लाता है।
- बंद सांस नली कपालभाति से खुल जाती है।
- मजबूत बॉडी के लिए फायदेमंद।
- शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।
उद्गीथ के फायदे:
- नर्वस सिस्टम को ठीक रखता है।
- वजन घटाने में मदद करता है।
- नींद ना आने की समस्या दूर होगी।
अनुलोम विलोम के फायदे:
- शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।
- नर्व मजबूत, शरीर के ब्लड फ्लो में सुधार।
- ब्रेन को हेल्दी रखने में मददगार।
- सांस लेना आसान हो जाता है।
मसल्स को मजबूत बनाने के लिए आयुर्वेदिक औषधियां:
- चंद्रप्रभावटी, त्रियोदशांक, गुग्गुल, अश्वशिला, पीड़ातक का सेवन करें।
- रोजाना सेवन करने से फायदा।
मजबूत मसल्स के लिए घरेलू नुस्खे:
- दूध में हल्दी और शिलाजीत मिलाकर पिएं।
- एलोवेरा और गिलोय का जूस पिएं।
- खट्टी चीजें ना खाएं।
- अश्वशिला की एक गोली तीन बार लें।
- चंद्रप्रभावटी दिन में एक-एक गोली लें।