फेफड़ों को मजबूत रखने के लिए रोजाना करें ये योगासन और प्राणायाम, स्वामी रामदेव से जानिए आयुर्वेदिक औषधियां
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए आपको फेफड़ों को स्वस्थ रखने के साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना होगा। इसलिए नियमित रूप से करें ये योगासन।
कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में छाया है। भारत की बात करें तो तेजी से मामले बढ़ते जा रहे हैं। कई रिसर्च और डॉक्टरों के अनुसार इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होने के साथ अगर आपके फेफड़े भी हेल्दी हैं तो यह कोरोना आपको छू भी नहीं सकता है। इतना ही नहीं जो लोग इस बीमारी के शिकार हो गए हैं अगर उनके फेफड़े ठीक ढंग से काम करें तो वह आसानी से कोरोना को मात दे सकते हैं। जानिए योगाभ्यास और प्राणायाम के जरिए कैसे आप अपने फेफड़ों को हेल्दी बना सकते हैं।
स्वामी रामदेव के अनुसार योग कोरोना की जंग जीतने के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है। इसके साथ फेफड़े, लिवर, किडनी हेल्दी रखने के साथ इम्यूनिटी सिस्टम भी मजबूत कर सकते हैं। इसके साथ-साथ ये लंग्स में पानी भर जाना, फेफड़ों का काम न करना, लंग्स ट्रांसप्लांट से भी बचाता है।
हेल्दी फेफड़े के लिए करें ये योगासन
उष्ट्रासन- इस आसन से आपके लंग्स मजबूत रहते है। इसके साथ ही किडनी, लिवर भी हेल्दी रहेगा। इस आसन को आधा से एक मिनट रहें।
अर्द्ध उष्ट्रासन- अगर आप उष्ट्रासन नहीं कर पा रहे हैं तो अर्द्ध उष्ट्रासन कर सकते है। इससे भी पूरा शरीर हेल्दी रहता है।
गौमुखासन- इस आसन को करने फेफड़े स्वस्थय रहेंगे। इसके साथ-साथ गैस्ट्रिक, सर्वाइकल पेन से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा पाचन तंत्र भी फिट रहते हैं। शरीर का पॉश्चर सुधरता है। इसके साथ ही थकान, तनाव, चिंता दूर करता है।
वक्रासन- इस आसन को करने से फेफड़ों से जुड़ी परेशानियों से निजात मिलता है। किडनी, लिवर हेल्दी होता है। पेट की चर्बी भी कम होती है।
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मकरासन- ब्लड प्रेशर को करें कंट्रोल, मानसिक तनाव को करें कम। वजन कम करने में मदद करें। इसके साथ ही पाचन क्रिया को ठीक करता है। वजन कम करने में करें मदद। रीढ़ की हड्डी को करें मजबूत। सांस से जुड़ समस्याएं दूर होती है।
भुजंगासन- फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूत करें। फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं से दिलाएं निजात। लिवर से जुड़ी हर समस्या से निजात मिलेगा। इसके साथ-साथ वजन कम करने में मदद करता है।
मर्कटासन- यह आसन फेफड़ों के लिए अच्छा है। इसके अलावा ये रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में मदद करें। जोड़ों के दर्द को जड़ से खत्म करें। पीठ का दर्द, पेट का दर्द से भी निजात मिलता है।
पवनमुक्तासन- इस आसन को करने फेफड़े मजबूत और हेल्दी रहते है। ब्लड प्रेशर को करें कंट्रोल। इसके साथ-साथ मोटापा, एसिडिटी, कब्ज की समस्या को भी छूमंतर करता है।
उत्तान पादासन- इस आसन को करने से पूरा शरीर हेल्दी रहता है। इसके साथ-साथ लिवर, फेफड़े और किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
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नौकासन- इस आसन को करने से फेफड़े से जुड़ी समस्याओं से निजात मिलता है। इसके अलावा स्किन संबंधी समस्या, तनाव और पेट की चर्बी से छुटकाा दिलाता है।
हेल्दी फेफड़े के लिए प्राणायाम
सूर्य नमस्कार
इस आसन को करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बढ़ती उम्र को कम करता है। नैचुरल निखार के साथ शरीर को लचीला बनाएं। हड्डियों को करें मजबूत। शरीर को शक्तिशाली बनाता है। शरीर को संतुलन ठीक होता है।
भस्त्रिका
इस प्राणायाम को करने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन का ठीक ढंग से प्रवाह होता है। जिससे आपको डायबिटीज के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी निजात मिल जाएगा।
अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस प्राणायाम से नाक खुल जाती है। इम्यून सिस्टम को करें ठीक। तनाव और डिप्रेशन से दिलाएं निजात।
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कपालभाति
सांस लेने में आसान हो जाता है। फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। प्राणायाम से नर्व मजबूत होती है। तनाव और टेंशन को रखें दूर।
भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है।
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उज्जायी
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाएं। खून का संचार ठीक करें। फेफड़े स्वस्थय और मजबूत होत है। हद्य, अस्थमा के लिए लाभकारी।
उद्गीथ प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं। इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग, धातु रोग, उच्च रक्तताप जैसे रोगो से निजात मिलता है।
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें।
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फेफड़ों को मजबूत रखने के लिए आयुर्वेदिक औषधियां
- दूध में हल्दी और शीलाजीत डालकर पिएं।
- त्रिकुटा, शीतोपलाती फायदेमंद।
- श्वासारि को गर्म पानी या शहद के के साथ दिन में 3 बार लें। इसके अलावा श्वासारि की गोली खाली पेट खाएं।
- तुलसी, गिलोय और अश्वगंधा का सेवन करें।
- गिलोय, काली मिर्च, अदरक, तुलसी, अश्वगंधा आदि का काढा़ बनाकर दिन में 3 बार सेवन करें।