Yoga Day 2021: कपालभाति- भस्त्रिका सहित ये प्राणायाम करने से मिलेगी एनर्जी, साथ ही दूर होंगी ये बीमारियां
कपालभाति- अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम करने से बॉडी को एनर्जी मिलती है। योग दिवस के मौके पर स्वामी रामदेव से जानिए इनके बारे में।
आज यानि 21 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। योग दुवस के मौके पर स्वामी रामदेव से प्राणायाम के बेहतरीन फायदे बताए। स्वामी रामदेव के अनुसार रोजाना थोड़ा समय निकालकर अगर आप प्राणायाम करते हैं आप कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी कई खतरनाक बीमारियों से खुद का बचाव कर सकते हैं। इसके साथ ही ऑक्सीजन लेवल बढ़ने के साथ शरीर का हर एक अंग मजबूत बनता है। इसलिए शरीर को फिट रखने के साथ ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए रोजाना अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति, शीतली, शीतकारी, नाड़ी शुद्धि, सूर्य भेदी, चंद्र भेदी सहित अन्य प्राणायाम करना चाहिए।
स्वामी रामदेव के अनुसार कोरोना काल में ब्रीदिंग एक्सरसाइज काफी कारगर साबित हुई है। इसके द्वारा आप अपने फेफड़ों को मजबूत करने के साथ ऑक्सीजन लेवल बढ़ा पाए है। जानिए इन्हें करने की विधि।
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शरीर को एक्टिव और बीमारियों से दूर रखने के लिए प्राणायाम
कपालभाति
रोजाना कपालभाति करने से आपके नर्वस सिस्टम के न्यूरॉन ठीक ढंग से काम करेंगे। जिससे आपको मिर्गी की समस्या नहीं होगी। इसके लिए रोजाना 10-15 मिनट कपालभाति करे। कपालभाति प्राणायाम के लिए रीढ़ की हड्डी को सीधा करके पद्मासन पर बैठ जाए। अगर आप जमीन में नहीं बैठ सकते हैं तो कुर्सी पर बैठे सकते है। सबसे पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें। साथ ही पेट को भी अंदर की और बहार की ओर धकेले। इस प्रकिया को बार-बार दोहराएं।
अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 15 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस आसन को करने से तनाव को कम करता है। कफ से संबंधित समस्या को दूर करता है। मन को शांत करता है जिससे एकाग्रता बढ़ती है। दिल को स्वस्थ रखता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है।
भ्रस्त्रिका
इस प्राणायाम को 3 तरह से किया जाता है। पहले में 5 सेकंड में सांस लें और 5 सेकंड में सांस छोड़े। दूसरे में ढाई सेकंड सांस लें और ढाई सेकंड में छोड़ें। तीसरा तेजी के साथ सांस लें और छोड़े। इस प्राणायाम को लगातार 5 मिनट करें। इस आसन को रोजाना 5-10 मिनट करें। इस प्राणायाम को रोजाना करने से हाइपरटेंशन, अस्थमा, हार्ट संबंधी बीमारी, टीवी, ट्यूमर, बीपी, लिवर सिरोसिस, साइनस, किसी भी तरह की एनर्जी और फेफड़ों के लिए अच्छा माना जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है। इस आसन को करने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती है। इसके साथ ही लंग्स और हार्ट मजबूत होते है। इम्यूनिटी बूस्ट होने पर मदद मिलती है। जिससे आप खुद को संक्रामण बीमारियों से बचा सकते हैं।
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं। इस आसन को करने से मन शांत होगा, तनाव, हाइपरटेंशन के साथ-साथ एसिडिटी से निजात मिलेगा। अगर आपको गुस्सा अधिक आता है ये प्राणायाम काफी कारगर हो सकता है।
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शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें। इस आसन को करने से तनाव, हाइपरटेंशन से निजात मिलता है। इसके साथ ही अधिक मात्रा में ऑक्सीजन अंदर जाती है।
सूर्य भेदी प्राणायाम
इस प्राणायाम में सांस केवल दाहिने नथुने और बाएं नथुने से छोड़ना होता है। अंगूठे का इस्तेमाल करते हुए दाएं नासिका को बंद करे और अनामिका का उपयोग बाएं नासिका को बंद करने के लिए किया जाता है।