लंग्स हमारे शरीर का बेहद अहम अंग है। यह हमारे खून में ऑक्सीजन को पहुंचाकर शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालता है। लेकिन आजकल जिस तरह से देश में प्रदूषण बढ़ा है उससे फेफड़ों से जुड़ी बीमारी की समस्या भी बढ़ी है। खासकर देश की राजधानी दिल्ली के हवाओं में फैले प्रदूषण के कण जब लंग्स में जाकर जमते हैं तो इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। बता दें, हवा में मौजूद ये छोटे-छोटे कण सांस से लंग्स में और लंग्स से ब्लड में और फिर धीरे धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इस वजह से फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जो क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रूप में उभर रही है। इस समस्या में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसमें मुख्य रूप से एम्फाइज़िमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस शामिल हैं, जो समय के साथ फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में इस बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ल्ड सीओपीडी दिवस की शुरुआत की गई थी। नोएडा स्थित न्यूबर्ग लेबोरेट्री में मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. अजय शाह बता रहे हैं कि सांस से जुड़ी यह बीमारी कब होती है इसके लक्षण क्या है और बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
सीओपीडी के लक्षण
- लगातार खांसी,
- अत्यधिक बलगम का उत्पादन,
- घरघराहट
- सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न
- सांस लेने में गंभीर कठिनाई और बार-बार श्वसन संक्रमण
सीओपीडी के कारण
सीओपीडी मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले उत्तेजक पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होता है। धूम्रपान इसका प्रमुख कारण बना हुआ है, हालांकि वायु प्रदूषण, या ईंधन के धुएं के संपर्क में आने वाले धूम्रपान न करने वाले भी जोखिम में हैं। अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी जैसे आनुवंशिक कारण से भी यह बीमारी हो सकती है।
सीओपीडी रोकथाम
अगर आप सीओपीडी को कंट्रोल करना चाहते हैं तो अपनी लाइफ स्टाइल बेहतर करें और कुछ बुरी आदतें जैसे सिगरेट और शराब पीना छोड़ें। इसके अलावा , प्रदूषित वातावरण में मास्क पहनना और इनडोर एयर क़्वालिटी में सुधार करना इसके जोखिम को काफी कम करता है। फ्लू और निमोनिया के का टीकाकरण भी एक ज़रूरी भूमिका निभाता है।
सीओपीडी का इलाज़
सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है, आप केवल अपनी जीवन शैली को बेहतर कर इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते है। इसके लिए आमतौर पर ब्रोंकोडायलेटर्स और स्टेरॉयड जैसी दवाएं और ऑक्सीजन थेरेपी नियोजित की जाती हैं।
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