मई के महीने में ही तापमान 45 के पास पहंच गया है। भीषण गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है। सुबह 9-10 बजे के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। जिन लोगों को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा है उनके लिए ये मौसम मुसीबत बन सकता है। जी हां गर्मी के दिनों में शरीर में जो लक्षण नजर आते हैं कई बार लोग उन्हें लू या गर्मी का असर समझ कर नज़रअंदाज कर बैठते हैं। जबकि कई बार ये हार्ट अटैक के लक्षण भी हो सकते हैं। गर्मी में कई कारण हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देते हैं। डॉक्टर से जानते हैं कि गर्मी में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ जाता है। इसकी क्या वजह हैं और कैसे बचा जाए?
शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी का कहना है कि सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है। वैसे किसी भी मौसम में हार्ट अटैक या हार्ट से जुड़ी दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। गर्मी के मौसम में दिल का दौरा पड़ने और हार्ट फेल की घटनाएं भी काफी बढ़ जाती हैं। इसके पीछे मुख्य कारण हीट स्ट्रेस, डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, बहुत अधिक और हाई इंटेंसिटी की फिजिकल एक्टिविटी, ज्यादा शारीरिक श्रम और ब्लड प्रेशर में बदलाव हैं।
हीट स्ट्रेस- गर्मी की वजह से भी तनाव बढ़ता है। जब शरीर इंटरनल टेंपरेचर को कंट्रोल करने में फेल होने लगता है तो तनव बढ़ने लगता है। हवा के तापमान के साथ-साथ, आपका काम, कम कपड़े और तेज गर्मी इसकी वजह बनती हैं। काम के कपड़े जैसे कारक गर्मी के तनाव का कारण बन सकते हैं।
डिहाइड्रेशन- जब आप फिजिकल एक्टिविटी करते हैं या फिर शरीर तापमान को बैलेंस करने के लिए ज्यादा पसीना निकालता है तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है। डिहाइड्रेशन के कारण हार्ट बीट भी बढ़ जाती है, जिससे शरीर और हार्ट पर पर अधिक दबाव पड़ता है।
बहुत फिजिकल एक्टिविटी- गर्मियों में ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी के कारण भी परेशानी हो सकती है। गर्मियों में वर्कआउट के लिए ठंडे मौसम को चुनें यानि आपको सुबह जल्दी या फिर देर शाम फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए। खुले वातावरण की जगह एसी वाली या ठंडी हवादार जगह पर वर्कआउट करें। बीच-बीच में पानी पीते रहें और हाई इंटेंसिटी का व्यायाम करने से बचें।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखें- गर्मी के कारण ब्लड प्रेशर में भी बदलाव आते हैं। गर्मियों में खासतौर से बीपी को मेजर करते रहें। जरा भी अप-डाउन फील हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। शरीर के टेंपरेचर को कंट्रोल करने की कोशिश करें और भरपूर पानी पीते रहें। शरीर ठंडा रहेगा तो बीपी कंट्रोल रहेगा।
Latest Health News