वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हल्के लक्षणों वाले कोविड मरीजों में काफी लंबे समय तक असर रहता है और लोगों के ठीक होने पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। अमेरिका के लॉस एंजिल्स के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जिन लोगों में हल्के लक्षणों वाला कोरोना था उनमें ऐसे एंटीबाडी पाए गए हैं जो शरीर को खुद ही नष्ट करने लगते हैं और ऐसे मरीजों की रिकवरी में भी अधिक समय लगता है और ये एंटीबाडी उनकी कोशिकाओं को ही नष्ट करने लगते हैं।
सेडार सिनाई मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं के हवाले से येरूशलम पोस्ट ने बताया कि इन मरीजों के शरीर में खुद को नष्ट करने वाले एंटीबा़डीज बनने से इन्हें ठीक होने में देरी होती है। इस दल ने 177 मरीजों पर शोध किया था।
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यह शोध जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल मेडिसिन में छपा है और इसमें कहा गया है कि जिन लोगों को पहले कोविड संक्रमण हुआ था उनके शरीर में जो एंटीबाडीज बने थे उन्होंने बाद में अपनी ही कोशिकाओं को ही निशाना बनाना शुरू कर दिया था और इसी वजह से उन्हें ठीक होने में इतना समय लगा था ।उन्होंने अपने आसपास की कोशिकाओं को नष्ट कर दिया था और इसकी वजह ये इन मरीजों को कोरोना से उबरने में इतना समय लगा।
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इनपुट आईएएनएस
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