हाथ पैर में भी दिखने लगते हैं ट्राइग्लिसराइड बढ़ने के लक्षण, बदरंग स्किन के साथ धमनियों में आती है ब्लॉकेज
ट्राइग्लिसराइड बढ़ने के लक्षण: ट्राइग्लिसराइड (triglycerides) बढ़ने से न सिर्फ दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है बल्कि, ये हमारी स्किन को भी प्रभावित करता है। क्यों और कैसे, जानते हैं।
ट्राइग्लिसराइड क्या है? ज्यादातर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता। सबको यही लगता है कि ये कोलेस्ट्रॉल जैसा कुछ है जिसके बढ़ने से हम हार्ट अटैक के शिकार हो सकते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं है। दरअसल, ट्राइग्लिसराइड (triglycerides) एक प्रकार का फैट है जो हमारे खून में जमा होता है। इसका इस्तेमाल हमारा शरीर एनर्जी प्रोड्यूस करने के लिए कर लेता है। साखकर कि जब हम लंबे समय तक खाना नहीं खाते या फिर फास्ट करते हैं। लेकिन, कई बार ये इतना ज्यादा हो जाता है कि शरीर द्वारा इस्तेमाल के बाद भी बचता जाता है और शरीर में जमा हो जाता है। ऐसे में इसके एक लेवल को क्रॉस करना, शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
ट्राइग्लिसराइड्स का कौन सा स्तर खतरनाक है-What level of triglycerides is dangerous?
जैसे कि व्यस्कों के लिए इसका 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से कम होना अच्छा है। पर जब ये 200 से 499 mg/dL के बीच होता है तो इसका मतलब है कि ये हाई है और आपको इसे कम करने की जरुरत है। इससे ज्यादा बढ़ने पर यानी 500 mg/dL से ऊपर जाने पर ये बेहद खतरनाक हो सकता है।
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ट्राइग्लिसराइड बढ़ने के लक्षण-Triglycerides high symptoms in hindi
1. ऊपरी पेट में दर्द
खून में ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ना पेनक्रियाज के सूजन का कारण बनता है। इससे सबसे पहले आपके पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है जो पीठ तक फैल सकता है। इसके साथ कई बार तेज बुखार, मतली और उल्टी आदि की समस्या भी देखी जाती है। क्योंकि ये क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का रूप लेना लगता है और पेनक्रियाज में फैट जमा हो जाते हैं।
2. हाथ-पैरों पर छोटे और पीले रंग के धब्बे
खून में ट्राइग्लिसराइड बढ़ने से जैंथोमास (Xanthomas) की समस्या हो सकती है। इसमें आपकी त्वचा में सेल्स के अंदर इतना ज्यादा फैट जमा हो जाता है कि आपके खून का रंग बदरंग नजर आता है। हाथ-पैरों में छोटे-छोटे और लाला व पीले रंग के दाने नजर आ सकते हैं। ये अक्सर कोहनी, जोड़ों, टेंडन, घुटनों, हाथों, पैरों और नितंबों पर दिखाई देते हैं।
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3. धमनियों में ब्लॉकेज
ट्राइग्लिसराइड्स का ज्यादा बढ़ना, धमनियों को सख्त करता है और इनकी दीवारों को मोटा कर देता है। इससे अनहेल्दी फैट के कण धमनियों से चिपकने लगते हैं और फिर ये कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने का काम करते हैं। इससे ब्लॉकेज की समस्या होती है और ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। इस प्रकार से ये स्ट्रोक और हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा देता है। तो, इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप करवाते रहें।