इस बीमारी में हाथी की तरह हो जाते हैं आपके पैर, जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
Filariasis causes in hindi: फाइलेरिया की बीमारी मानसून के मौसम में तेजी से बढ़ जाती है। ऐसे में आपको जानना चाहिए कि ये बीमारी क्यों और कैसे होती है?
Filariasis in hindi: मानसून के महीनों में फाइलेरिया (filariasis) नामक ये बीमारी ज्यादा फैलती है। खासकर कि गांवों में और वहां जहां इस समय बाढ़ के हालात हैं या जलभराव है। यहां इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या ज्यादा होती है। लेकिन, सवाल ये है कि ये बीमारी होती कैसे हैं, पानी से इसका क्या लेना-देना है और इसका कारण क्या है? तो, आइए इन्हीं तमाम सवालों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
फाइलेरिया क्या है-What is filariasis in hindi
फाइलेरिया, एक संक्रामक रोग है जो कि निमेटोड परजीवियों (Wuchereria bancrofti) की वजह से होता है। इससे शरीर में सूजन और बुखार हो सकता है। कुछ गंभीर मामलों में ये शरीर की बनावट बदल सकता है जैसे त्वचा का मोटा होना और पैरों में सूजन।
फाइलेरिया किसकी वजह से होता है-What is filariasis causes in hindi
फाइलेरिया मच्छरों की प्रजाति के एक कीड़े (filarial worms) जो कि खून चूसते हैं, इनकी वजह से ये होता है। इसमें हमारा लसीका तंत्र या लिंफेटिक सिस्टम संक्रमित हो जाता है। लसीका तंत्र शरीर में फ्यूल्ड यानी द्रव पदार्थ के स्तर को संतुलित करता है और आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। पर जब ये कीड़ा आपको काट लेता है ये लसीका तंत्र असंतुलित हो जाता है और फिर इसकी वजह से शरीर में सूजन आ जाती है।
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फाइलेरिया के लक्षण-filariasis symptoms in hindi
फाइलेरिया से पीड़ित हर तीन में से दो लोगों में गंभीर लक्षण होते हैं। क्योंकि इस बीमारी में सबसे पहले इम्यून सिस्टम प्रभावित हो जाती है और इसकी वजह से शरीर में तीन गंभीर बदलाव आते हैं। जैसे-
-सूजन, जो कि पैरों में व्यापक रूप से देख जा सकता है।
-लिम्फेडेमा, जिसमें आपके लसीका तंत्र में तरल पदार्थ का निर्माण होता है और ये सूजन और बुखार पैदा करता है।
-अंडकोश में सूजन और तरल पदार्थ का निर्माण।
-आपकी बाहों, पैरों, स्तनों और महिला जननांगों (योनि) में सूजन और तरल पदार्थ का निर्माण हो सकता है।
-सिर दर्द
-बुखार
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फाइलेरिया से कैसे बचें-Prevention tips for filariasis
फाइलेरिया से बचने के लिए आपको मच्छरों से बचना होगा और इसके लिए आप मच्छरदानी लगाकर सोएं। घर के आस-पास पानी इक्ट्ठा न हो दें। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा सफाई रखें ताकि आस-पास मच्छर और कीड़े इक्ट्ठा न हो। पेस्ट कंट्रोल करवाएं। शाम को नीम के पत्तों को जलाएं और फुल बाजू वाले कपड़े पहनें।