40 के बाद क्यों खिसकने लगती है महिलाओं की बच्चेदानी? जानें कारण, लक्षण और उपाय
बच्चेदानी खिसकने का कारण: बच्चेदानी खिसकने के कारण महिलाओं के पेल्विक एरिया पर जोड़ पड़ने लगता है। इससे ब्लोटिंग समेत कई सारी समस्याएं हो सकती हैं।
Uterus prolapse in hindi: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में 40 के बाद ज्यादातर महिलाएं बच्चेदानी खिसकने की शिकायत करती हैं। बहुत सी महिलाएं इसके लक्षणों को महसूस करती हैं लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि ये क्या है, तो वे कंफ्यूज रहती हैं। दरअसल, बच्चेदानी खिसकने (uterus prolapse in hindi) का मतलब है कि आपका यूटरेस या बच्चेदानी अपनी जगह से खिसक कर नीचे की ओर आने लगा है। इससे प्लेविक एरिया और यहां तक कि पाचन तंत्र पर भी जोर पड़ता है और आप अपने बैली फैट के नीचे और वजाइनल एरिया के ऊपर एक अलग सा भार महसूस कर सकती हैं। इसके अलावा भी बच्चेदानी खिसकने के कई लक्षण हैं। आइए, सबसे पहले जानते हैं इसका कारण, लक्षण और उपाय।
बच्चेदानी खिसकने का कारण-Uterus prolapse causes in hindi
बच्चेदानी खिसकने सा सबसे बड़ा कारण है उम्र बढ़ने के साथ आपकी मांसपेशियों का कमजोर होना। ये कई कारणों से होता है जिसमें कि कुछ मेडिकल तो कुछ लाइफस्टाइल से जुड़े कारक हो सकते हैं। जैसे कि
-कई बार प्रेगनेंसी और नॉर्मल डिलीवरी
-मोटापा या थायराइड की बीमारी जिससे वजन ज्यादा बढ़ जाए
-हार्मोनल बदलाव
-मेनोपॉज
-हमेशा भारी वजन उठाना
-वेट लिफ्टिंग जैसी भारी-भरकम एक्सरसाइज करना
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बच्चेदानी खिसकने के लक्षण-Uterus prolapse symptoms in hindi
बच्चेदानी खिसकने के लक्षण वैसे तो हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन, कुछ चीजों महिलाओं में एक जैसी होती है। जैसे कि
-खाना खाते ही ब्लोटिंग की समस्या महसूस करना
-ब्लैडर पर एक भार महसूस करना और बार-बार पेशाब लगना
-छींकने और खांसने पर भी पेशाब लीक कर जाना
-लंबे समय तक कब्ज रहना
-पीठ में दर्द
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बच्चेदानी खिसकने से बचाव के लिए टिप्स-Uterus prolapse prevention tips in hindi
बच्चेदानी खिसकने से बचाव के लिए आप इन टिप्स को अपना सकते हैं, जो कि प्लेविक एरिया को मजबूती भी देगा और बच्चेदानी खिसकने से रोकेगा भी। जैसे कि
-हर दिन सुबह और शाम करें तितली आसन (butterfly pose)। ये पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मजबूती देने मददगार है।
-हर रोज करें कीगल एक्सरसाइज (kegel exercise)
-हाई हील्स वाली सैंडिल पहनने से बचें ताकि पीठ में दर्द ना हो।
-हाई फाइबर वाले फूड्स खाएं जो कि कब्ज का कारण ना बने।