कहीं आप भी तो नहीं कर रहे बच्चों की परवरिश से जुड़ी ये गलती? बना सकता है उन्हें मानसिक रोगी
आज के समय में जब माता-पिता के पास बच्चों के लिए वक्त नहीं है, ऐसे में परवरिश से जुड़ी ये गलती बच्चों को बीमार कर सकती है।
बच्चों की सही परवरिश, हर माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। लेकिन, आज के समय में जब माता-पिता के पास बच्चों के लिए वक्त की कमी है जो कि बच्चों की परवरिश से जुड़ी कई गलतियों का कारण बनता है। जैसे कि जब बच्चे रोते हैं या गुस्सा करते हैं तो माता-पिता उन्हें शांत करने के लिए मोबाइल या वीडियो गेम्स दे देते हैं। जो कि असल में बच्चों की परवरिश से जुड़ी एक बड़ी गलती है। ये हम नहीं बल्कि, JAMA Pediatrics में छपी एक रिपोर्ट बता रही है।
कहीं आप भी तो नहीं ले रहे ये एंटीबायोटिक दवाएं? WHO की रिपोर्ट उड़ा देगी आपके होश
बच्चों को शांत करने के लिए मोबाइल देना है एक बड़ी गलती: स्टडी
मिशिगन मेडिसिन (Michigan Medicine study) की ये स्टडी बताती है कि बच्चों को शांत करने के लिए मोबाइल देना, उन्हें मानसिक रोगी बना सकता है। ये उनके फिजिकल एक्टिविटी को ही नहीं बल्कि, उनके व्यवहार को भी प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे भावनात्मक रूप से काफी कमजोर होते हैं और समय के साथ कई बार आक्रामक हो सकते हैं।
पति के मोटापा से तंग आकर पत्नी ने छोड़ दिया घर, फिर हार्ट अटैक ने ले ली शख्स की जान!
लड़कों में ज्यादा हो सकती है भावनात्मक गड़बड़ियां
इतना ही नहीं, शोध में यह भी बताया गया है कि लड़कों में ये गड़बड़ियां ज्यादा देखी जा रही हैं। जामा पीडियाट्रिक्स में मिशिगन मेडिसिन के इस अध्ययन के अनुसार, 3-5 साल की उम्र के बच्चों को शांत करने के लिए स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे उपकरणों का बार-बार उपयोग बच्चों में विशेष रूप से लड़कों में भावनात्मक विकृति से जुड़ा हो सकता है।
ज्यादा ठंड लग रही है तो हो सकती हैं ये गंभीर बीमारियां, स्वामी रामदेव ने बताये बचने के कारगर उपाय
व्यवहार नकारात्मक होता जा रहा है
स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनका व्यवहार नकारात्मक हो रहा है। साथ ही चुनौतीपूर्ण व्यवहारों के प्रति उनका रिएक्शन खराब हो जाता है। साथ ही ये प्रकार की शिथिलता पैदा करती है जिससे उदासी और उत्तेजना बढ़ती है। साथ ही बच्चों में मूड स्विंग्स बढ़ने का भी कारण बनता है। तो, शोध की मानें और बच्चों को मोबाइल आदि देना बंद कर दें।
Source: JAMA Pediatrics